नयी दिल्ली : पिछले साल 16 दिसंबर सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में चारों दोषियों को दिल्ली की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता बर्दाश्त करने की सभी सीमाओं से परे है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा ‘सभी को मौत’. इस घटना से देश भर में आक्रोश की लहर फैल गयी थी और इसके बाद सरकार को कठोर बलात्कार विरोधी कानून लाना पड़ा था.
उन्होंने कहा, ‘‘अन्य अपराधों पर चर्चा के अलावा, मैं सीधे आईपीसी की धारा 302 (हत्या) पर आता हूं. यह दोषियों के अमानवीय स्वभाव के अंतर्गत आता है और उन्होंने जो अपराध किया है उसकी गंभीरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती. चारों दोषियों को मौत की सजा दी जाती है.’’ न्यायाधीश ने कहा कि मुकेश (26), अक्षय ठाकुर (28), पवन गुप्ता (19) और विनय शर्मा (20) द्वारा किया गया अपराध दुर्लभतम श्रेणी में आता है जिसके लिए सजा ए मौत जरुरी है.
अदालत ने 10 सितंबर को चारों को 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया था. न्यायाधीश ने अधिकतम सजा सुनाते हुए कहा, ‘‘अदालत ऐसे नृशंस कृत्य से आंखें नहीं मूंद सकती.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आए दिन महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं, ऐसे में, इस समय अदालत अपनी आंखें बंद नहीं रख सकता.’’
आदेश का कुछ हिस्सा पढ़ते हुए अदालत ने कहा, ‘‘जिस जघन्य तरीके से पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की गयी, उसकी कोई तुलना नहीं है, मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और इसके लिए ऐसी सजा दी जानी चाहिए जो एक उदाहरण हो. सभी को मौत की सजा दी जाती है.’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह समय है जब महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध सामने आ रहे हैं और अब महिलाओं का भरोसा बनाये रखना न्यायपालिका की जिम्मेदारी है.’’ चारों को हत्या के अलावा सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक अपराध, हत्या के प्रयास, डकैती, सबूतों को नष्ट करने, साजिश, हत्या के लिए अपहरण का भी दोषी ठहराया गया है.
फैसले के बारे में जानने के लिए लोग अदालत परिसर के बाहर जमा हो गये और जैसे ही सजा की घोषणा हुयी तो लोग नारे लगाने लगे कि मामले में किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी ठहराये गये नाबालिग को भी फांसी देनी चाहिये. अदालत परिसर के बाहर लोग नारे लगा रहे थे,‘‘नाबालिग को भी फांसी दो.’’ नाबालिग आरोपी को 31 अगस्त को दोषी ठहराया गया और सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा सुनायी गयी.
पीड़िता के दोस्त सॉफ्टवेयर इंजीनियर को भी काफी चोट आयी थी. 29 दिसंबर 2012 को लड़की ने सिंगापुर की एक अदालत में दम तोड़ दिया. राम सिंह (34) मार्च में जेल प्रकोष्ठ में मृत पाया गया और उसके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया.
16 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक लड़की से हुयेसामूहिक बलात्कार मामले में यहां एक अदालत ने आज चारों दोषियों को मौत की सजा सुनायी है.पूरे मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है:
* 16 दिसंबर 2012 : छह लोगों ने एक निजी बस में एक पैरामेडिकल छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया, उस पर बर्बर तरीके से हमला किया तथा उसे उसके पुरुष मित्र के साथ वाहन से बाहर फेंक दिया. उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया.
* 17 दिसंबर: कड़ी कार्रवाई को लेकर बड़े स्तर पर प्रदर्शन शुरु हुए, पुलिस ने चार आरोपियों बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की.
* 18 दिसंबर: राम सिंह और तीन अन्य को गिरफ्तार किया गया.
* 20 दिसंबर: पीड़ित के मित्र ने बयान दर्ज कराया.
* 21–22 दिसंबर: ठाकुर बिहार के औरंगाबाद से गिरफ्तार, उसे दिल्ली लाया गया. अस्पताल में एसडीएम के सामने पीड़ित ने बयान दर्ज कराया.
* 23 दिसंबर: प्रदर्शनकारियों ने घटना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया.कांस्टेबल सुभाष तोमर को गंभीर चोटों के साथ अस्पताल ले जाया गया.
* 25 दिसंबर: डाक्टरों ने पीड़ित की स्थिति को गंभीर बताया. इस बीच, कांस्टेबल तोमर ने दम तोड़ा.
* 26 दिसंबर: सरकार ने दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाने का फैसला किया.
* 29 दिसंबर: पीड़ित ने देर रात सवा दो बजे दम तोड़ा. पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या का आरोप जोड़ा.
* 2 जनवरी 2013: प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने इस मामले के शीघ्र निबटारे के लिए त्वरित अदालत का उद्घाटन किया.
* 3 जनवरी: पुलिस ने हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या के प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौन संबंध और डकैती सहित अन्य आरोपो में पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.
* 5 जनवरी: अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लिया.
* 7 जनवरी: अदालत ने बंद कमरे में कार्यवाही का आदेश दिया.
* 17 जनवरी: त्वरित अदालत ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही शुरु की.
* 28 जनवरी: किशोर न्यायिक बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना साबित हो गया.
* 2 फरवरी: त्वरित अदालत ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये.
28 फरवरी : बोर्ड ने नाबालिग के खिलाफ आरोप तय किये.
* 11 मार्च: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी की
* 22 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय ने त्वरित अदालत की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय मीडिया को अनुमति दी.
* पांच जुलाई: इस मामले तथा लूटपाट के मामले में किशोर के खिलाफ न्याय बोर्ड में जांच (सुनवाई) पूरी. बोर्ड ने फैसले के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की.
* आठ जुलाई: त्वरित अदालत ने इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज किये.
* 11 जुलाई: बोर्ड ने नाबालिग को इस जुर्म का दोषी पाया कि वह कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार की घटना में शामिल होने से पहले 16 दिसंबर की रात एक बढ़ई को बंधक बनाकर उससे लूटपाट में शामिल था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की कवरेज की अनुमति दी.
* 22 अगस्त: त्वरित अदालत ने चार वयस्क आरोपियों के खिलाफ अंतिम जिरह पर सुनवाई शुरु की.
* 31 अगस्त: किशोर बोर्ड ने नाबालिग को सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया और उसे सुधार गृह में तीन साल की सजा दी.
* 10 सितंबर: अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक दुष्कर्म तथा लड़की की हत्या और उसके पुरुष मित्र की हत्या के प्रयास सहित 13 आरोपों में दोषी ठहराया.
* 11 सितंबर: अदालत ने सजा की अवधि तय करने संबन्धी दलीलें सुनने के बाद सजा सुनाने के लिये 13 सितंबर की तिथि तय की.
* 13 सितंबर: अदालत ने चारों दोषी व्यक्तियों को मृत्युदंड की सजा सुनायी.