इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में सांप्रदायिक हिंसा की सीबीआई से जांच के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 18 नवंबर तक के लिए टाल दी. इस घटना में अब तक 44 लोगों की जान जा चुकी है.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि अदालत इस जनहित याचिका पर सुनवाई तब तक स्थागित रखना चाहती है जब तक राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायिक आयोग की ओर से जांच कार्य पूरा नहीं हो जाता है.
इन घटनाओं की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले जांच आयोग को दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करनी है.अदालत ने राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को 18 नवंबर को मामले की सुनवाई होने तक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है.बहरहाल, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री आजम खान से कोई हलफनामा नहीं मांगा गया है जिनका नाम याचिका में प्रतिवादी के तौर पर पेश किया गया है.
जनहित याचिका रवींद्र राजोरिया की ओर से दायर की गयी है जिसमें दंगों के दौरान पुलिस पर निष्क्रियता बरतने और राज्य सरकार पर दलगत भाजपा से काम करने का आरोप लगाया गया है.