नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उदारीकरण के दौर में निजी क्षेत्र को कोयला खदान आबंटित करने संबंधी नीति और दिशानिर्देशों के संबंध में आज केंद्र सरकार से अनेक स्पष्टीकरण मांगे.न्यायमूर्ति आर एम लोढा, न्यामयूर्ति मदन लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की तीन सदस्यीय खंडपीठ कोयला खदानों के आबंटन रद्द करने के लिये दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. केंद्रीय जांच ब्यूरो 1993 से और विशेषरुप से 2006 से 2008 के दौरान कोयला खदानों का आबंटन हासिल करने वाली प्रत्येक कंपनी के खिलाफ जांच कर रहा है.
न्यायाधीशों ने अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती से कहा कि 14 जुलाई, 1993 से 31 मार्च, 2011 की अवधि में छानबीन समिति की सारी बैठकों की रिपोर्ट और उन दिशानिर्देशों को तैयार करने का निर्देश दिया जिनका कोयला खदानों के आबंटन करते समय पालन किया गया था.