नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि गोवा में लौह अयस्क की खदानों से खनन पर लगी पाबंदी हटाने के लिये दायर याचिकाओं पर 17 सितंबर से विचार किया जायेगा.
शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम बी शाह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पिछले साल अक्तूबर में इन खदानों से खनन कार्य पर रोक लगा दी गयी थी. आयोग का अनुमान था कि पिछले 12 साल में गैरकानूनी खनन के कारण 35 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो चुका है.
गोवा में गैरकानूनी खनन गतिविधियों की जांच के लिये गैर सरकारी संगठन गोवा फाउण्डेशन की जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत ने राज्य की सभी 90 खदानों में पांच अक्तूबर, 2012 के आदेश के तहत खनन कार्य पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने पहले ही निकाले जा चुके लौह अयस्क के निर्यात और इनकी बिक्री करने पर भी पाबंदी लगा रखी है. गोवा सरकार ने 10 सितंबर, 2012 को अक्तूबर तक के लिये सभी खनन गतिविधियां निलंबित कर दी थीं लेकिन याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि इस निलंबन का लौह अयस्क के कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है और निजी कंपनियां खदानों से लौह अयस्क अन्यत्र भेज रही हैं.