बलिया : दिल्ली सामूहिक बलात्कार काण्ड में नाबालिग गुनहगार को तीन साल की सजा देने के जुवेननाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले से बलात्कार पीड़िता के परिजन निराश अवश्य हैं लेकिन सभी गुनहगारों को फांसी की सजा मिलने तक न्याय की जंग लडने के लिए वह तैयार है. फैसला आने के बाद परिजनों की प्रियंका गांधी से बातचीत हुई है. उन्हें गांधी परिवार से उम्मीद है कि वह न्याय दिलाने के लिए अवश्य पहल करेंगे.
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का फैसला आने के बाद कल देर रात लडकी के पिता ने कहा कि फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. परिवार के लोग फिलहाल इस मामले में विधिवेत्ताओं से बातचीत करेंगे. परिजन इस बात के लिए हरगिज तैयार नहीं है कि नाबालिग गुनहगार को फांसी से कम सजा मिले. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि चार अन्य गुनहगार के मामले में भी अगले 10-15 दिन में फैसला आ जायेगा. इसके बाद परिजन अगला कदम उठाऐंगे.
उन्होंने जानकारी दी कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का फैसला आने के बाद कल उनकी प्रियंका गांधी से फोन पर बातचीत हुई है. प्रियंका गांधी ने 10 दिन बाद बातचीत के लिए समय देने का वायदा किया है. पिता ने बताया कि वह इसी सिलसिले में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी राहुल गांधी दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व रेणुका चौधरी से भी मिलेंगे.
दिल्ली सामूहिक बलात्कार काण्ड की शिकार लडकी के परिजनों को भाजपा नेताओं खासकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिकायत है. पिता ने कहा कि बेटी की मौत से लेकर अब तक नरेन्द्र मोदी न तो परिवार से मिले और न ही सांत्वना ही दिया. यदि वह मिलते तो अच्छा होता.
पिता ने कहा कि सभी 6 गुनहगारों को फांसी की सजा मिलने तक परिवार न्याय की जंग लडेगा. इसके लिए उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक की लडाई लडी जायेगी तथा आवश्यकता हुई तो राष्ट्रपति के यहां भी मामला ले जाया जायेगा. गुनहगारों को फांसी दिलाने तक परिवार के लोग सभी आवश्यक पहल करते रहेंगे.
दिल्ली गैंगरेप:पीड़िता की मां ने कहा,हमें बेवकूफ बनाया गया है
पिछले साल 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार मामले में पहली दोष सिद्धि के तहत किशोर आरोपी को 23 साल की लड़की की हत्या और बलात्कार का दोषी पाया गया. लेकिन उसे किशोर न्याय के तहत अधिकतम तीन साल की जेल सजा मिलेगी. घटना के समय आरोपी वयस्क होने की आयु 18 साल से महज छह माह कम थी. किशोर न्याय बोर्ड ने उसे पेरामेडिक्स की छात्र के पुरुष मित्र की हत्या के प्रयास से बरी कर दिया. पूरे देश को झकझोर देने वाली इस घटना का यह व्यक्ति ही एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी था. पीड़िता की मां ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह उन्हें स्वीकार्य नहीं है.
फैसले के बाद पीड़िता की मां ने कहा, ‘‘इस कार्यवाही की कोई जरुरत नहीं थी. हमें बेवकूफ बनाया गया है. मैं इस फैसले को स्वीकार नहीं करुंगी. हमें पूरे दिन तक प्रतीक्षा कराने की क्या जरुरत थी.’’ प्रमुख मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता में बोर्ड ने अल्पवय को सुधार गृह में तीन साल तक रहने की सजा सुनायी. यह किशोर न्याय कानून के तहत दी जाने वाली अधिकतम सजा है. जांच के दौरान हिरासत में बिताये गये आठ माह की अवधि को भुगत ली गयी सजा माना जायेगा और उसे तीन साल की सजा में से घटा दिया जायेगा. बोर्ड ने 11 जुलाई को बस के क्लीनर आरोपी को घटना की रात लूट के एक अन्य मामले में दोषी ठहराया था.
बोर्ड ने दोषी को रामाधार को लूटने के आरोप में सुधार गृह में रहने की आज सजा सुनायी जो वह पहले ही भुगत चुका है. रामाधार 16 दिसंबर की रात में उस बस में चढ़ा था और उसे लूटने के बाद बस से बाहर धक्का दे दिया गया था. इसके बाद सामूहिक बलात्कार पीड़िता और उसके मित्र पर हमला किया गया. राजधानी में पिछले साल पैरामेडिक्स छात्र के साथ चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और उस पर नृशंस हमला किया गया.
पीड़िता की बाद में पिछले साल 29 दिसंबर को सिंगापुर में उपचार के दौरान मौत हो गयी. इस मामले के चार वयस्क आरोपियों के खिलाफ यहां साकेत की फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमा चल रहा है. अन्य आरोपी राम सिंह को तिहाड़ जेल स्थित उसकी कोठरी में 11 मार्च को मृत पाया गया था और उसके बाद उसके खिलाफ मामले को बंद कर दिया गया.
पीड़ित के भाई ने आरोपी किशोर पर किया हमला
सोलह दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले की पीड़िता के छोटे भाई ने आज आरोपी किशोर पर कथित रुप से हमले का प्रयास किया. किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी नाबालिग को बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई.
बोर्ड के सूत्रों ने कहा, ‘‘जब मुख्य मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता वाले किशोर न्याय बोर्ड द्वारा फैसला सुनाया जा रहा था, पीड़ित के छोटे भाई ने नाबालिग पर हमले का प्रयास किया.’’ उन्होंने कहा कि सुबह से बोर्ड के फैसले का इंतजार कर रहा पीड़ित का भाई फैसला सुनाए जाने के बाद अचानक आरोपी की ओर बढ़ा और उसने आरोपी को थप्पड़ मारने का प्रयास किया.
हालांकि अभियोजन, बचाव पक्ष के वकीलों और पीड़ित के पिता तथा मां ने अदालती कक्ष के अंदर मौजूद लोगों ने लड़के को नियंत्रित किया. पीड़ित का भाई अपने माता पिता के साथ बोर्ड के फैसले को सुनने आया था. बोर्ड से बाहर आते वक्त, वह भावनाओं पर काबू नहीं पा सका और रोने लगा तथा उसने नाबालिग को मिली सजा पर असंतोष जताया.