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देश की अदालतों में तीन करोड़ मामले लंबित: सिब्बल

नयी दिल्ली: देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या अगले तीन दशक में 3 करोड़ से बढ़ कर 15 करोड़ होने का अनुमान है. फिलहाल लंबित 3 करोड़ मामलों में चेक बाउंस, मोटरवाहन दावों संबंधी विवाद, बिजली कानून संबंधी मामलों की संख्या करीब 33 फीसदी से 35 फीसदी है.कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने आज […]

नयी दिल्ली: देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या अगले तीन दशक में 3 करोड़ से बढ़ कर 15 करोड़ होने का अनुमान है. फिलहाल लंबित 3 करोड़ मामलों में चेक बाउंस, मोटरवाहन दावों संबंधी विवाद, बिजली कानून संबंधी मामलों की संख्या करीब 33 फीसदी से 35 फीसदी है.कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा ‘‘देश की अदालतों में फिलहाल 3 करोड़ मामले लंबित हैं और साक्षरता, प्रति व्यक्ति आय, तथा जनसंख्या में वृद्धि के चलते यह संख्या अगले तीन दशक में पांच गुना बढ़ कर 15 करोड़ हो सकती है.’’

उन्होंने चंदन मित्र के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा ‘‘इन लंबित मामलों की समस्या के हल के लिए वित्तीय सहयोग, बुनियादी सुविधाओं और बेहतर योजना की जरुरत होगी। सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग कर करीब 30 से 35 फीसदी लंबित मामलों का हल निकाला जा सकता है.’’सिब्बल ने कहा कि कई मामलों में सरकार वादी है. उन्होंने बताया कि देश की करीब 16,000 अदालतों में लंबित 3 करोड़ मामलों में से 18 फीसदी मामले चेक बाउंस के हैं, 10 फीसदी मामले मोटरवाहन दावों संबंधी विवाद के और 5 से 7 फीसदी मामले बिजली कानून से संबंधित हैं.सिब्बल ने कहा कि कुल लंबित मामलों में चेक बाउंस, मोटरवाहन दावों संबंधी विवाद, बिजली कानून संबंधी मामलों की संख्या करीब 33 फीसदी से 35 फीसदी है और सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग कर इन्हें हल किया जा सकता है.

कानून मंत्री ने बताया कि कुल लंबित मामलों में से 26 फीसदी मामले 5 साल से अधिक पुराने और 40 फीसदी मामले एक ससाल से अधिक पुराने हैं. शेष मामले एक साल से कम अवधि के हैं.लंबित मामलों के निपटारे के लिए और अधिक बुनियादी सुविधाओं की जरुरत पर जोर देते हुए सिब्बल ने कहा कि अभी देश में प्रति दस लाख की आबादी पर अदालतों की संख्या 15 है. अगले पांच साल में अदालतों की संख्या बढ़ा कर प्रति दस लाख की आबादी पर 30 करने की योजना है.

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