नयी दिल्ली: केंद्र सरकार सरोगेट मांओं के हितों की रक्षा के लिए एक विधेयक लाने पर विचार कर रही है.स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी है कि गरीब सरोगेट मांओं के हितों की रक्षा करने के लिए पर्याप्त कानूनों के अभाव के चलते देश में फर्टीलिटी क्लीनिकों और एजेंसियों द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है.
आजाद ने बताया कि सरकार को मीडिया रिपोटरे के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि कानूनी सुरक्षा नियमों के अभाव में फर्टीलिटी क्लीनिकों द्वारा सरोगेट मांओं का शोषण किया जाता है. उन्होंने बताया कि फर्टीलिटी क्लीनिकों और बैंकों के विनियमन के लिए तथा हितधारकों के हितों की सुरक्षा के लिए सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियम ) विधेयक का प्रारुप सरकार के विचाराधीन है.
उधर, महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने लोकसभा में ही एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2010 में 410 बालिकाएं और 218 बालकों को विदेशियों ने गोद लिया जबकि 2011 में यह आंकड़ा क्रमश: 404 और 225 रहा. उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में विदेशियों ने 204 बालिकाओं और 104 बालकों तथा वर्ष 2013 में जून माह तक क्रमश: 58 बालिकाओं और 16 बालकों को गोद लिया.