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भूमि अधिग्रहण बिल पर जारी है रार, सरकार ने बदला पैंतरा

नयी दिल्लीः संसद के बजट सत्र का पहला चरण आज सम्पन्न हो गया. कल से महीने भर के अवकाश के बाद बजट सत्र का दूसरा चरण 20 अप्रैल से शुरु होगा जो आठ मई तक चलेगा.भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार जारी है. इस बीच ऐसी खबर है कि सरकार […]

नयी दिल्लीः संसद के बजट सत्र का पहला चरण आज सम्पन्न हो गया. कल से महीने भर के अवकाश के बाद बजट सत्र का दूसरा चरण 20 अप्रैल से शुरु होगा जो आठ मई तक चलेगा.भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार जारी है. इस बीच ऐसी खबर है कि सरकार अब एक नयी रणनीति के तहत काम करने की योजना बना रही है. संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि बजट सत्र के दूसरे चरण में इस विधेयक को सरकार राज्यसभा मे रखेगी. इस बीच जो समय मिलेगा उसमें पूरे देश में भूमि अधिग्रहण मामले पर बड़े पैमाने पर चर्चा की जायेगी.

भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सरकार चौतरफा घिर रही है. विपक्ष इस मुद्दे को सड़क से लेकर संसद तक विरोध कर रही है. ऐसे में सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है कि लोकसभा में पास विधेयक को राज्यसभा में पास करा लिया जाए.

इस विरोध को देखते हुए सरकार एक लंबा वक्त ले रही है. बजट सत्र पर चर्चा बेहद अहम होती है. सरकार की रणनीति है कि दूसरे सत्र के दौरान इस पर भारी चर्चा के बाद विपक्ष इसके कई अहम मुद्दों को समझकर इसे पास करने के लिए राजी होगा. कांग्रेस पार्टी इस विधेयक के जरिये अपने खोये जनाधार को समटने और इसे एक बड़े आंदोलन का रूप देने में लगी है. इसके लिए सोनिया गांधी ने 14 पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर इस विधेयक को कानून का रूप ना देने के लिए विपक्ष का साथ देने का आग्रह किया.

कांग्रेस अन्ना हजारे का समर्थन करने से भी नहीं चूक रही. पार्टी अच्छी तरह समझती है कि जनआंदोलन में आपसी सहयोग जरूरी है ऐसे में साथ मिलकर ही सरकार के खिलाफ एक बड़ा मोरचा खोला जा सकता है. इस विधेयक को लेकर अलग अलग राज्यों में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. क्षेत्रीय पार्टियां इस मुद्दे को सामने रखकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश में हैं. आज झारखंड और तमिलनाडू में इस विधेयक के विरोध में प्रदर्शन हुआ. दूसरी तरफ सरकार इस विधेयक को लेकर पीछे हटने के मूड में नहीं है. केंद्रीय मंत्री नीतीन गडकरी ने सोनिया गांधी और अन्ना हजारे को चिट्ठी लिखकर खुली बहस की चुनौती दी और कहा कि यह विधेयक किसान विरोधी नहीं है अगर आप इस पर चर्चा या बहस करना चाहें तो मैं खुली बहस के लिए तैयार हूं.

गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पास हो गया लेकिन राज्यसभा में अटका है. लोकसभा में भारी बहुमत के कारण सरकार इसे लोकसभा में पास कराने में कामयाब रही है. लेकिन अगर सरकार इसे संसद के दूसरे फेज में पेश करेगी तो उसे बिल पेश करना होगा क्योंकि पांच अप्रैल को अध्यादेश की समय सीमा समाप्त हो जाएगी. सरकार को यह डर भी सता रहा है कि विपक्ष के अनुरोध के बाद राष्ट्रपति इस पर रोक ना लगा दें .

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