हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात के अबु धाबी से सूर्योदय के साथ ही दुनिया के पहले सौर ऊर्जा से चलनेवाले विमान ने उड़ान भरी. पांच महीने में करीब 32,000 किलोमीटर की यात्र पर निकला विमान इम्पल्स मंगलवार को अहमदाबाद में उतरेगा. विमान के चालक बरट्रेंड पिकार्ड व आंद्रे बोर्शबर्ग संभवत: दो दिन यहां रहेंगे. यहां से वाराणसी जायेंगे. इसके बाद म्यांमार के मांदले, चीन के चोंगछिंग और नानजिंग में रुकेगा.
हवाई से होकर प्रशांत महासागर से गुजरने के बाद विमान अमेरिका के फीनिक्स, मिडवेस्ट और न्यू यॉर्क सिटी में रुकेगा. 2013 में अमेरिका में परीक्षण उड़ान भरनेवाला विमान पहले पड़ाव पर मस्कट में उतरा. ज्ञात हो कि कुछ चरण ऐसे हैं, जिसमें पांच दिन तक एक ही पायलट लगातार उड़ान भरेगा. इस दौरान उन्हें प्रशांत और अटलांटिक सागर को भी पार करना होगा.
ऐसे काम करेगा सिस्टम : विमान के डैनों पर लगे 17,000 से अधिक सोलर सेल चार इलेक्ट्रिकल मोटर को ऊर्जा सप्लाई करेंगे, जहां से मोटर विमान के प्रोपेलर को ऊर्जा की आपूर्ति करेंगे.
समस्याएं
टेलीफोन बूथ के आकार का है विमान का कॉकपिट
उड़ान के दौरान पायलट खड़ा भी न हो पायेगा
पायलट की सीट के नीचे बना है टॉयलेट
पायलट द्वय पिकार्ड व बोर्शबर्ग अहमदाबाद में सरकारी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में जाकर पर्यावरणोन्मुखी तकनीक का संदेश फैलायेंगे.
विमान स्वच्छ ऊर्जा और साफ-सफाई का संदेश फैलाने के लिए वाराणसी में गंगा नदी के ऊपर भी मंडरायेगा
रोमांच शुरू हो गया है. हमारा उद्देश्य लोगों को स्वच्छ ऊर्जा के प्रति जागरूक करना है. आज जिस जेट में सैकड़ों यात्री यात्र करते हैं, उसका सपना देखनेवाले चाल्र्स लिंडबर्ग ने भी पहली उड़ान छोटे से कॉकपिट में भरी थी.
बरट्रेंड पिकार्ड, पायलट