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सेबी-सहारा विवाद: सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री के खिलाफ रिजर्व बैंक पहुंचा न्यायालय

नयी दिल्ली: सहारा मामले में आज समय नया मोड आ गया जब भारतीय रिजर्व बैंक ने सेबी के साथ इस समूह के विवाद में खुद को एक पक्षकार बनाने का उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया। रिजर्व बैंक ने सहारा के प्रमुख सुब्रत राय की रिहाई के लिये समूह की कंपनियों में से एक को अपनी […]

नयी दिल्ली: सहारा मामले में आज समय नया मोड आ गया जब भारतीय रिजर्व बैंक ने सेबी के साथ इस समूह के विवाद में खुद को एक पक्षकार बनाने का उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया। रिजर्व बैंक ने सहारा के प्रमुख सुब्रत राय की रिहाई के लिये समूह की कंपनियों में से एक को अपनी संपत्ति बेचने से रोकने का अनुरोध किया है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने धन की व्यवस्था करने हेतु सहारा समूह को अपनी संपत्ति बेचने की अनुमति देने संबंधी न्यायालय के आदेश में सुधार का अनुरोध किया है.रिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय से अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि सहारा इंडिया फाइनेन्शियल कार्पोरेशन लि को सेबी की देनदानियों के भुगतान के लिये प्रतिभूतियों सहित अपनी किसी भी संपत्ति के इस्तेमाल से रोका जाये। अर्जी के अनुसार यह कंपनी गैर बैंकिंग वाली फाइनेन्शियल फर्म है जो उनके नियमों के अधीन आती है.
शीर्ष अदालत ने चार जून, 2014 को अपने 2013 के आदेश में सुधार करते हुये उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत भुगतान के लिये इस कंपनी सहित सहारा समूह की कंपनियों की प्रतिभूतियों तथा संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी थी.
उच्चतम न्यायालय ने चार मार्च, 2014 से तिहाड जेल में बंद सुब्रत राय की रिहाई के लिये दस हजार करोड रुपए जमा कराने की शर्त रखी थी. रिजर्व बैंक ने यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि यदि मेसर्स सहारा इंडिया फाइनेन्शियल कार्पोरेशन लि की संपत्ति से सहारा इंडिया या समूह की किसी अन्य कंपनी के लिये सेबी-सहारा रिफन्ड खाते या सहारा इंडिया की भागीदारी फर्म में कोई राशि जमा करायी गयी है तो उसे किसी राष्ट्रीयकृत बैंक के स्क्रो खाते में रखा जाये.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि यह ऐसा सुनिश्चित करने के लिये जरुरी है कि कंपनी के धन का उपयोग जमाकर्ताओं के धन के भुगतान के लिये किया जा सके और इसे न्यायालय के निर्देशों पर अमल के नाम पर अन्यत्र नहीं ले जाया जा सके.

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