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मोदी का राज्यों को खर्च की ज्यादा आजादी देने का वादा, ममता नहीं हुई शामिल

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में उच्च आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त करने तथा रोजगार सृजित करने में मदद के लिये मुख्यमंत्रियों को आपसी मतभेद भुलाकर काम करने पर आज जोर दिया है.उन्होंने राज्यों को और अधिक कोष उपलब्ध कराने और उसके उपयोग की अधिक स्वतंत्रता दिये जाने का वादा भी किया है और […]

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में उच्च आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त करने तथा रोजगार सृजित करने में मदद के लिये मुख्यमंत्रियों को आपसी मतभेद भुलाकर काम करने पर आज जोर दिया है.उन्होंने राज्यों को और अधिक कोष उपलब्ध कराने और उसके उपयोग की अधिक स्वतंत्रता दिये जाने का वादा भी किया है और उनसे परियोजनाओं में देरी के कारणों का के समाधान पर ध्यान देने की अपील की है. नवगठित राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) की संचालन परिषद की आज यहां पहली बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों को संबोधित करते हुए मोदी ने परियोजनाओं के क्रियान्वयन तेज किए जाने पर बल दिया. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से परियोजना की धीमी रफ्तार के कारणों की व्यक्तिगत रुप से निगरानी करने को कहा और सुझाव दिया कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन को तेज करने और उनसे संबंधित लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए हर राज्य को अपने यहां किसी अधिकारी विशेष को जिम्मेदारी देनी चाहिए.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की संचालन परिषद की पहली बैठक में शामिल नहीं हुई. बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार का कोई भी प्रतिनिधि बैठक में नहीं आया. मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति के साथ हाल में गठित राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) में राज्य का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ.

मोदी ने केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित 66 योजनाओं में कुछ की जिम्मेदारी राज्यों को दिये जाने की पेशकश की. इन योजनाओं के लिये 2014-15 में राज्यों को देने के लिये 3,38,562 करोड रपये का प्रावधान किया गया है. केंद्र प्रायोजित 66 योजनाओं के अध्ययन के लिये नीति आयोग के अधीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का एक उप-समूह गठित किये जाने की घोषणा की गयी. उप-समूह यह सिफारिश करेगा कि कौन सी योजनाएं जारी रखी जाए, किसे राज्यों को हस्तांतरित किया जाए और किसे समाप्त किया जाए.

मोदी ने कहा कि देश को ‘सबको एक तराजू पर तौलने’ वाली योजनाओं से हट कर योजनाओं और राज्यों की जरुरत में तालमेल विकसित करने की आवश्यकता है.प्रधानमंत्री ने दो और उप-समूह गठित किये जाने की घोषणा की. इसमें एक राज्यों के भीतर कौशल विकास तथा रोजगार सृजन के लिये तथा दूसरा स्वच्छ भारत के लिये संस्थागत रुपरेखा तैयार करने के लिये होगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी उन्मूलन को देश के लिये एक बडी चुनौती बताते हुए कहा कि योजना आयोग का स्थान लेने वाला नवगठित नीति आयोग सहकारी व प्रतिस्पर्धी संघवाद का माडल विकसित करेगा. इस बैठक में 31 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के कई मुख्यमंत्रियों तथा उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया. मोदी ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को ‘टीम इंडिया’ संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अपने सभी मतभेद भुलाते हुए हमें निवेश, वृद्धि, रोजगार व समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए.’’ प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत भारत तबतक आगे नहीं बढ सकता जबतक सभी राज्य आगे नहीं बढे. उन्होंने कहा कि इसके पीछे विचार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना के साथ सभी राज्यों को एक साथ लाना है.

बाद में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैठक में मोदी की टिप्पणियों का मुख्य जोर राजकाज के संचालन माडल में संदर्भ में था. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि वृद्धि, निवेश, गरीबी उन्मूलन, विकेंद्रीकरण और कार्यकुशलता प्राथमिकता के विषय हैं तथा परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब नहीं होना चाहिए.’’ जेटली के अनुसार प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आर्थिक गतिविधियां वास्तव में राज्यों में होती हैं और इसीलिए राज्यों को अहम भूमिका निभानी है.

बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नहीं आयीं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री जीतत राम मांधी मौजूद थे. मांझी को राज्य में राजनीतिक संकट का सामना करना पड रहा है.तमिलनाडु और और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने और कोष की मांग की जबकि केरल ने केंद्रीय आबंटन में ज्यादा आजादी दिये जाने की मांग की.इसके अलावा बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, असम के मुख्यमंत्री तरण गोगोई, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, तमिलनाडु के ओ पनीरसेल्वम, केरल के मुख्यमंत्री ओमेन चांडी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी भाग लिया.

इस परिचर्चा में संयोजक की भूमिका वित्त मंत्री अरण जेटली ने निभाई. बैठक की शुरआत नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया की टिप्पणी से हुई. प्रधानमंत्री आयोग के अध्यक्ष हैं.प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्सर योजनाएं समय पर निर्णय नहीं होने के कारण अटक जाती हैं. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से ऐसे कारणों पर व्यक्तिगत रुप से ध्यान देने को कहा, जिनके कारण परियोजनाओं की रफ्तार धीमी होती है. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से, ‘‘निवेश चक्र, आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और संबृद्धि पर ध्यान देने की अपील की.

उन्होंने राज्यों से गरीबी उन्मूलन तथा कृषि उत्पादन बढाने के लिए दो अलग-अलग कार्यबल गठित करने को भी कहा है.मोदी ने मुख्यमंत्रियों से सहकारी संघवाद का माडल बनाने के लिए केंद्र के साथ काम करने को कहा. उन्होंने कहा कि दोनों को ‘टीम इंडिया’ के रुप में काम करना चाहिए और एक साथ आकर मतभेदों को दूर करना चाहिए और प्रगति व समृद्धि का समान रास्ता बनाना चाहिए.

प्रधानमंत्री ने इसे ऐसी बैठक करार दिया जिसमें ऐतिहासिक बदलाव लाने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग की संचालन परिषद राष्ट्रीय हित को आगे बढाने में सहयोग देगी.उन्होंने कहा कि दुनिया ने अब भारत को अलग नजरिये से देखना शुरु कर दिया है. ‘‘हमारे समक्ष अभी भी सबसे बडी चुनौती गरीबी उन्मूलन की है.’’ मोदी ने कहा कि वृद्धि के बिना रोजगार सृजन नहीं हो सकता, गरीबी का उन्मूलन नहीं किया जा सकता. ‘‘हमारा सबसे पहला लक्ष्य उंची वृद्धि है.’’

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