नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो कोयला ब्लाक के अंतिम इस्तेमाल में परिवर्तन के कोयला मंत्रालय के आदेश के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल व उनकी कंपनी जेएसपीएल द्वारा कोयला मंत्रालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
ये सम्पत्तियां उन कोयला ब्लाकों में शामिल हैं जिनके आवंटन को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था और अब उन्हें नए नियमों के तहत फिर से आवंटित करने की प्रक्रिया शुरु की गयी है. मंत्रलय ने इन दोनों ब्लाकों को अब बिजली परियोजनाओं के लिए रखा है जबकि पहले इनके ईंधन का अंतिम इस्तेमाल इस्पात उद्योग के लिए किया जाना था.
न्यायमूर्ति बदर दुरेज अहमद व संजीव सचदेव की पीठ ने आज कहा, ‘‘दलीलें सुन ली गईं. फैसला सुरक्षित रखा जाता है.’’ केंद्र सरकार व जिंदल स्टील एंड पावर ने इस बारे में अपनी दलीलें अदालत के समक्ष रखीं.अदालत ने मंत्रालय की उस फाइल की भी समीक्षा की जिसमें उच्चस्तरीय तकनीकी समिति द्वारा लागू सामान्य मानदंड का उल्लेख है. ये मानदंड उन 204 कोयला ब्लाकों के लिए थे जिनका आवंटन उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल रद्द कर दिया था.
अदालत ने सरकार ने फाइल को रिकार्ड पर रखने का निर्देश दिया. एक घंटे से अधिक चली सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि इन ब्लाकों का अंतिम इस्तेमाल देश के उर्जा संकट की समस्या को दूर करने के लिए किया गया है.