नयी दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने के चंद दिनों के बाद न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर ने आज कहा कि उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ के नाम से की गयी कुछ टिप्पणियां तो उनपर आक्षेप करने समान हैं लेकिन उन्हें बाद में बताया गया है कि पीठ ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है.
देश के प्रधान न्यायाधीश के पद से 18 जुलाई को सेवानिवृत्त हुये न्यायमूर्ति कबीर ने अपने कार्यकाल में विवादों के बारे में स्थिति स्पष्ट की. इनमें न्यायमूर्ति सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा कथित वे टिप्पणियां भी शामिल हैं जिनके बारे में कहा गया था कि जयप्रकाश एसोसिएट्स प्रकरण में उनकी अध्यक्षता वाली पीठ को ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए थे.
पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा एक मामले में विशेष में कंपनी पर एक सौ करोड़ रुपए का जुर्माना करने से संबंधित प्रकरण की सुनवाई की थी.न्यायमूर्ति सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने बुधवार को जयप्रकाश एसोसिएट्स प्रकरण की सुनवाई के दौरान कथित रुप से कहा कि ये आदेश पारित नहीं किये जाने चाहिए थे.
इस बारे में एक प्रमुख अखबार में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुये कबीर ने कहा कि यह खबर प्रकाशित होने के बाद उन्होंने न्यायमूर्ति सदाशिवम और न्यायमूर्ति गोगोई से बात की है.
उन्होंने कहा, मैंने प्रधान न्यायाधीश से बात की और उन्होंने कहा कि मैंने कभी यह नहीं कहा. मैंने न्यायमूर्ति गोगोई से भी पूछा तो उन्होंने भी कहा कि निश्चित ही नहीं. हमने ऐसा कुछ नहीं कहा था. न्यायमूर्ति कबीर ने सीएनएन आईबीएन के करण थापर के डेविल्स एडवोकेट कार्यक्रम में कहा, अब मैं कुछ सकारात्मक कदम उठाने जा रहा हूं. मैंने न्यायाधीशों से लिखित में ऐसा करने का अनुरोध किया है. यदि आवश्यक हुआ तो मैं इसे (अखबार के साथ) उठाउंगा.