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अन्ना हजारे जी.एम. फसल बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें

भोपाल : किसान–कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमारिया ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से अनुरोध किया है कि वे एग्रीकल्चर बायो सिक्योरिटी बिल तथा बायो टेक्नालाजी अथारिटी आफ इण्डिया जैसे बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें. कुसमरिया ने अन्ना हजारे को लिखे एक पत्र में कहा है कि इन […]

भोपाल : किसानकल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमारिया ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से अनुरोध किया है कि वे एग्रीकल्चर बायो सिक्योरिटी बिल तथा बायो टेक्नालाजी अथारिटी आफ इण्डिया जैसे बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें.

कुसमरिया ने अन्ना हजारे को लिखे एक पत्र में कहा है कि इन बिलों के पारित होने से देश में जी.एम. फसलों को पिछले दरवाजे से लाने से किसानों का अपना बीज समाप्त हो जायेगा और किसान बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के गुलाम हो जायेंगे.

डा. कुसमरिया ने अपने पत्र में कहा है कि देश की 64 प्रतिशत आबादी पूर्णत: कृषि तथा कृषि आधारित कुटीर उद्योगों पर निर्भर है. अमेरिका और यूरोपीय देशों की कुदृष्टि भारत को एक बार फिर से गुलाम बनाने की है. उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती है जो राष्ट्र इस देश के खेती के संसाधनों पर कब्जा कर लेगा, वह इस देश की 64 प्रतिशत आबादी को भी अपने हिसाब से नियंत्रित कर सकेगा.

डा. कुसमरिया ने कहा कि अमेरिका और यूरोप के देश विदेशी कम्पनियों के माध्यम से हमारे किसानों की परम्परागत बीज व्यवस्था, खेती के कालचक्र, परम्परागत उर्वरक व्यवस्था आदि को परिवर्तित करने में सफल हो गये है. बी.टी काटन जैसी फसलों के लिये किसानों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से बीज और दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं.

डा. कुसमरिया ने हजारे से कहा है कि प्रारंभ में उत्पादन जरुर बढ़ता है लेकिन उसके बाद इन फसलों की लागत बढ़ती जाती है और उत्पादन घटता जाता है. इससे और इसके चलते महाराष्ट्र तथा गुजरात में किसानों की आत्महत्याओं की स्थिति से वे परिचित हैं.कृषि मंत्री ने पत्र में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में अनुवांशिक अंतरित फसलों जैसे बी.टी बैंगन और वर्तमान में बी.टी केला लाये जाने के प्रयास हुए हैं. जिनके परीक्षणों पर उच्चतम न्यायालय रोक लगा चुका है.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की फसलें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत नुकसानदायी हैं ऐसा विश्व भर के वैज्ञानिकों के प्रयोगों से स्थापित हो चुका है. इन जी.एम. फसलों से देश की जैविक विविधता नष्ट होगी. हमारे लिए अपनी जैव सम्पदा बचाना जरुरी है.

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