नयी दिल्ली : केदारनाथ मंदिर का दौरा करके लौटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की एक टीम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा है कि बाढ के बाद मंदिर में जगह जगह पत्थर निकलने से दरारें पड़ गई है हालांकि गर्भगृह को कोई क्षति नहीं पहुंची है. पिछले महीने 16 जून को आई प्रलंयकारी बाढ में सबसे ज्यादा क्षति केदारनाथ क्षेत्र में ही हुई थी. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को इसे पूर्व स्थिति में बहाल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. एएसआई की देहरादून सर्कल की एक टीम ने पिछले सप्ताह मंदिर का दौरा किया.
एएसआई देहरादून सर्कल के सुप्रीटेंडेंट आर्कियोलाजिस्ट अतुल भार्गव ने बताया ,‘‘ हमारी तीन सदस्यीय टीम ने 11 जुलाई को केदारनाथ मंदिर का दौरा किया और अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दिल्ली स्थित उच्चाधिकारियों को सौंप दी. रिपोर्ट में बताया गया है कि मंदिर के गर्भगृह में भीतर कोई नुकसान नहीं दिख रहा है.’’ उन्होंने कहा ,‘‘ गर्भगृह के बाहरी उत्तर पूर्वी कोने से कई पत्थर गिर गए हैं. वहां स्थित ईशान मंदिर बाढ में बह गया है. मंदिर के दरवाजे के पास मंडप के पूर्वी हिस्से को काफी नुकसान हुआ है जबकि पश्चिमी हिस्से से भी कई पत्थर हटे हैं. मंदिर के भीतर अभी भी दो से छह फुट तक मलबा पड़ा है.’’ वहीं एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक और केदारनाथ मंदिर के जीर्णोंद्धार के लिये गठित एएसआई टीम के प्रमुख डाक्टर बी आर मनी ने बताया कि अभी सिर्फ प्रारंभिक स्तर पर आकलन हुआ है और दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम के दौरे के बाद ही वास्तविक क्षति का आकलन हो सकेगा.
मनी खराब मौसम के कारण पिछले सप्ताह केदारनाथ नहीं जा सके. 11 जुलाई को देहरादून सर्कल से आर के सिंह (सहायक पुरातत्वविद अधीक्षक),मनोज जोशी ( एए) और वाय एस नयाल (ड्राफ्टमैन) की टीम ने मंदिर का दौरा करके प्रारंभिक रिपोर्ट दी. मंदिर के जीर्णोद्धार में लगने वाले समय के बारे में पूछने पर मनी ने कहा कि मौसम साफ होने के बाद एएसआई की टीम वहां दौरा करके ही इस बारे में बता सकेगी. उन्होंने कि इस काम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जैसे संगठनों की मदद भी ली जायेगी.
दस साल पहले केदारनाथ मंदिर को संरक्षित धरोहर घोषित करने की मांग की थी और इस संबंध में देहरादून से अधिसूचना प्रस्ताव भी गया था लेकिन मंदिर समिति ने उस पर सहमति नहीं दी. भविष्य में इस तरह की संभावना के बारे में पूछने पर मनी ने कहा कि फिलहाल फोकस राज्य सरकार के साथ मिलकर मंदिर को पूर्व स्थिति में बहाल करने पर है, संरक्षित धरोहर घोषित करने के मामले पर बाद में विचार किया जायेगा.
पिछले साल अक्तूबर में भार्गव की अगुवाई में देहरादून एएसआई की टीम ने मंदिर समिति के अनुरोध पर केदारनाथ का दौरा किया था और तभी चेताया था कि मंडप में कई पत्थर निकलने की कगार पर हैं. भार्गव ने कहा ,‘‘ मैं खुद उस समय मंदिर गया था क्योंकि मंदिर समिति ने विशेषज्ञों की राय मांगी थी. मैने तभी चेताया था कि मंदिर का मंडप वाला हिस्सा लगभग झूल रहा है क्योंकि वहां से कई पत्थर निकलने की कगार पर हैं. उनकी नींव कमजोर हो रही थी.’’