नयी दिल्ली : उर्वरक मंत्रालय यूरिया संयत्रों के लिए कोयला खानों से निकलने वाली गैस का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने का विकल्प ढूंढ रही है. इस तरह से सरकार घरेलू प्राकृतिक गैस आवंटन की प्राथमिकता नीति में बदलाव के संकेतों के बीच यह कदम उठा सकती है.
मौजूदा समय में यूरिया विनिर्माताओं का घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले गैस पर पहला अधिकार होता है. लेकिन सरकार द्वारा नयी व्यवस्था में सीएनजी और पाइप से आपूर्ति किये जाने वाले रसोई गैस को शीर्ष प्राथमिकता देने की संभावना है.
उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं से कहा, हम ईंधन के विकल्प के रुप में कोयला खानों के गैस के इस्तेमाल की संभावना तलाश रहे हैं. यह कम लागत वाला विकल्प प्रतीत होता है. साथ ही उर्वरक उद्योग के सभी ईंधन आपूर्ति संबंधी मुद्दों को सुलझाने में भी मदद कर सकते है.
हाल ही में अनंत कुमार की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया. इसमें पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, बिजली मंत्री पीयूष गोयल और सभी तीन मंत्रलयों के सचिव भी शामिल थे.कुमार ने कहा कि सरकार देश में उर्वरकों के स्वदेशी उत्पादन को बढाने का ध्येय कर रही है जो उर्वरक किसानों को उपयुक्त दर पर दिया जा सकता है.