चेन्नई : भारत का अपना और पहला नेवीगेशनल सेटेलाइट आइआरएनएसएस-1ए सोमवार मध्यरात्रि के करीब श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. इसे समुद्री नौवहन और तटीय सीमा की निगरानी के काम के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म करने की राह में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष अभियान की अहम कड़ी पीएसएलवी-सी22 रॉकेट के जरिये इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रात 11.41 बजे छोड़ा जाएगा. इसरो प्रवक्ता देवीप्रसाद कार्णिक ने रविवार को बताया कि प्रक्षेपण के लिए साढ़े चौसठ घंटों की काउंटडाउन शनिवार सुबह 7.11 बजे पर शुरू हुई थी.
1425 किलो वजनी आइआरएनएसएस-1ए इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम का पहला उपग्रह है. दस साल सेवा देने वाला यह सेटेलाइट भारत और उसके 1500 किमी के दायरे में रियल टाइम पोजीशन और टाइमिंग की सटीक जानकारी देगा. आइआरएनएसएस-1ए में दो तरह के पेलोड होंगे जिन्हें 20 मिनट के अंतराल में अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. इस श्रृंखला के सात सेटेलाइट 2015 तक चरणबद्ध तरीके से छोड़े जाएंगे. पूरी परियोजना पर 1420 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
कार्णिक के मुताबिक, इस सेटेलाइट से जमीनी, हवाई और समुद्री नेवीगेशन, आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी, फ्लीट मैनेजमेंट समेत तमाम फायदे मिलेंगे. आइआरएनएसएस सिस्टम के तहत तीन सेटेलाइट जियो स्टेशनरी और चार जियोसिनक्रोनस कक्षा में 36,000 किमी ऊंचाई पर स्थापित किए जाएंगे. इस प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी का उन्नत संस्करण एक्सएल का इस्तेमाल किया जा रहा है जो इस रॉकेट का 24वां मिशन होगा.
वर्ष 1993 के पहले मिशन को छोड़कर इस साल फरवरी तक पीएसएलवी के सभी 22 प्रक्षेपण सफल रहे हैं. इसके पहले चंद्रयान प्रथम, जीसैट-12 और रिसैट-1 में एक्सएल का उपयोग किया गया था. सेटेलाइट में दो सोलर पैनल भी होंगे.