गौचर, गुप्तकाशी: मौसम थोड़ा साफ होने और महामारी का खतरा बढ़ने के बाद बुधवार को केदारनाथ में बाढ़ और बारिश की चपेट में आकर मारे गए लोगों के शवों का सामूहिक दाह-संस्कार शुरु किया गया. हालांकि, विपदा के 11 दिन बाद भी 3,500 लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाना अभी बाकी है.
बारिश और धुंध के बावजूद आज बद्रीनाथ तथा हर्षिल से वायु एवं सड़क मार्ग के जरिए 1,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया. भारतीय वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर कल हादसे का शिकार हो जाने के बाद राहत और बचाव के काम में लगे अपने जवानों की हौसला अफजाई के लिए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन भी आज उत्तराखंड में थे. ब्राउन ने कहा कि बचाव अभियान जारी रहेगा और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यह मिशन पूरा कर लिया जाएगा.
आईएएस अधिकारी रविनाथ रमण ने गुप्तकाशी से फोन पर ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘खराब मौसम की वजह से पिछले दो दिनों से टल रहे शवों के दाह-संस्कार का काम आज केदारनाथ में आखिरकार शुरु कर दिया गया.’’ गौरतलब है कि केदारनाथ इस त्रसदी में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. हालांकि, इस बात का पता नहीं चल सका कि आज कितने शवों का दाह-संस्कार किया गया.
थलसेना की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि हर्षिल और बद्रीनाथ इलाकों से करीब 3,500 लोगों को बचाकर बाहर निकाला जाना अब भी बाकी है. बीते 15 जून को उत्तराखंड पर आफत की बारिश होने के बाद से अब तक करीब एक लाख फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा चुका है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यदि तीन से चार दिन मौसम साफ रहे तो भारतीय वायुसेना अपना मिशन पूरा कर लेगी. इस मिशन में थलसेना, आईटीबीपी और एनडीएमए भी जी-जान से जुटी है.
राहत और बचाव के काम में लगे हेलीकॉप्टरों के गौचर स्थित फॉरवर्ड बेस में उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘यदि मौसम शुक्रवार से साफ होना शुरु हो जाए तो सोमवार, मंगलवार तक यह सारा काम पूरा कर लिया जाएगा.’’ ब्राउन ने कहा, ‘‘..अभियान जारी रहेगा. ज्यादातर काम पहले ही पूरे किए जा चुके हैं. हर्षिल और बद्रीनाथ में फंसे हुए लोगों को बचाकर बाहर निकालना अब बाकी रह गया है. हमारे हेलीकॉप्टर उड़ान भरना बंद नहीं करेंगे. इसका मतलब यह है कि लोगों को बाहर निकालने तक हम अपना काम जारी रखेंगे.’’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि हर्षिल और बद्रीनाथ इलाके में फंसे लोग अगले दो दिनों में बाहर निकाल लिए जाएंगे बशर्ते मौसम उड़ान भरने लायक हो. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में महामारी फैलने से रोकने के लिए सभी कदम उठाए गए हैं.
एनडीएमए के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी ने कहा कि मारे गए लोगों की तादाद में इजाफे का अंदेशा है. रेड्डी ने कहा, ‘‘केदारनाथ में 10 फुट मलबा है और हमें आशंका है कि वहां कई शव पड़े हुए हैं.’’ रेड्डी ने यह भी कहा कि करीब 350 लोगों का अब भी कुछ पता नहीं चल सका है जिससे इस बात का अंदेशा है कि वे मारे जा चुके हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 822 लोग मारे जा चुके हैं. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सत्यव्रत बंसल ने कहा कि केदारनाथ में सभी शवों का दाह-संस्कार दुरुह काम है क्योंकि बड़ी तादाद में लाशें कई टन मलबे के नीचे दबी हुई हैं और उन्हें मलबे के भीतर से निकालना आसान नहीं होगा, इसके लिए जेसीबी मशीनों को केदारनाथ जैसे उंचाई वाले इलाके में लाना होगा. राज्य सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत ने भी कहा कि केदारनाथ मंदिर के आसपास का इलाका साफ करना और शवों को निकालना आसान नहीं होगा.
अब तक मातली, भटवारी, मनेरी इलाके को पूरी तरह खाली कराया जा चुका है.गुप्तकाशी के एसडीएम लक्ष्मी राज चौहान ने कहा कि दोपहर में हल्की बारिश तो हुई पर इलाके में कहीं भू-स्खलन नहीं हुआ.
(नीलाभ श्रीवास्तव और केनिथ. के. मोहंती)