लखनऊ:लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट तेज होते ही केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच टकराव बढ़ने लगा है. इसके चलते जहां प्रदेश सरकार ने केंद्र पर सूबे का विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए मांग के अनुरूप कोयला ना मुहैया कराने का आरोप लगा है. वही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सूबे में लोगों का बेहतर इलाज कराने के मकसद से चलाई जा रही एंबुलेंस सेवा योजना के नाम पर आपत्ति करते हुए योजना के बजट को रोक दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले से सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन हैरत में हैं. अहमद हसन कहते केंद्र का यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है.
अहमद हसन के अनुसार प्रदेश सरकार ने बीते 14 सिंतबर को सूबे के लोगों के बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए समाजवादी 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की थी. इस योजना के तहत राज्य में 988 एंबुलेंस वर्तमान में चल रही हैं. मायावती सरकार में भी मोबाइल मेडि़कल यूनिट नाम की एक ऐसी ही योजना महामाया सचल अस्पताल के नाम से शुरू हुई थी. जिसके तहत 15 जिलों में 154 मोबाइल मेडिकल यूनिट चलाई गई, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस योजना में हुए भ्रष्टाचार की जानकारी मिलने पर इसे दिए जा रहे बजट को रोक दिया. सीबीआई मोबाइल मेडिकल यूनिट योजना की जांच कर रही है. उक्त योजना के भ्रष्टाचार के पचड़े में फंसने पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने यूपी में 108 एंबुलेस सेवा को बढ़ावा देने का वायदा किया.
केंद्र के इस वायदे पर भरोसा करते हुए अखिलेश सरकार ने 108 एंबुलेंस योजना को प्रदेश में सफलता के साथ चलाने की रणनीति तैयार की और 14 सिंतबर 2012 को समाजवादी 108 एंबुलेंस सेवा के नाम से इसे शुरू किया. योजना का जमकर प्रचार-प्रसार भी प्रदेश सरकार ने कराया. अहमद हसन कहते हैं कि उक्त योजना के शुरू होने के दस माह बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को समाजवादी 108 एंबुलेंस सेवा की एंबुलेंस पर नेशनल एंबुलेंस सर्विस ना लिखा होना अखरा है. परन्तु स्वास्थ्य मंत्रालय के लोगों को यह नहीं दिखा कि प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत लोगों के इलाज का कैसा बेहतर प्रबंध किया है.
अहमद हसन कहते हैं कि 108 एंबुलेंस सेवा की एंबुलेंस पर नेशनल एंबुलेंस सर्विस लिखवाना कोई बड़ी बात नहीं है. नाम लिखवाने भर से कोई योजना सफल होती. परन्तु जिस तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनआरएचएम के डॉयेक्टर को पत्र लिखकर 108 एंबुलेंस सेवा की सभी एंबुलेंस पर नेशनल एंबुलेंस सर्विस लिखवाने का निर्देश देते हुए योजना के बजट की किस्त रोकने का आदेश दिया है, उस पर प्रदेश सरकार को आपत्ति है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है और जल्द ही प्रदेश सरकार अपने निर्णय से केंद्र सरकार को अवगत कराएंगी.
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और उन्होंने जनता को यह बताने का निर्णय किया है कि कैसे केंद्र सरकार जनता को बेहतर इलाज मुहैया कराने की उनकी योजना पर अड़ंगा लगाने का प्रयास करता है, जबकि खुद वह कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में लोगों के बेहतर इलाज को लेकर एम्स का निर्माण कराने के लिए भूमि मुहैया कराने में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की तरह कोई राजनीति नहीं करते.
!!राजेन्द्र कुमार!!