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अलफोंस अरीना में प्रवासी भारतीयों के पास मोदी ने पेश किया भारत के विकास का खाका
सिडनी : आस्ट्रेलिया के सिडनी के अलफोंस अरीना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज आस्ट्रेलियाई भारतीय समुदाय व आस्ट्रेलिया के स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया. एरीना के खचाखच भरे हॉल में जो लोग प्रवेश नहीं कर सके, उनके लिए बॉहर मोदी को देखने सुनने के लिए टीवी स्क्रीन लगाये गये. उन्होंने एरीना में अपने […]
सिडनी : आस्ट्रेलिया के सिडनी के अलफोंस अरीना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज आस्ट्रेलियाई भारतीय समुदाय व आस्ट्रेलिया के स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया. एरीना के खचाखच भरे हॉल में जो लोग प्रवेश नहीं कर सके, उनके लिए बॉहर मोदी को देखने सुनने के लिए टीवी स्क्रीन लगाये गये.
उन्होंने एरीना में अपने जोरदार स्वागत के लिए आयोजकों व स्थानीय लोगों को धन्यवाद देने के साथ अपने भाषण की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इस स्वागत का हकदार मोदी नहीं है. इसे मैं सवा सौ करोड देशवासियों के चरणों में मैं समर्पित करता हूं. मैं देख रहा हूं कि बहुत सारे लोग अभी भी बाहर हैं, ये जो नजारा सिडनी में दिखाई दे रहा है, यह पूरे हिंदुस्तान को आंदोलित कर रहा है. कभी स्वामी विवेकानंद जी के शब्दों को याद करते हैं, तो हम कल्पना नहीं कर सकते हैं कि उनमें कितनी दूरदर्शिता थी. आजादी के ठीक 50 साल पहले स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि 50 साल के लिए भारत के लोग अपने देवी देवाताओं को भूल जायें. कल्पना कर सकते हैं कि एक सन्यासी जो स्वयं आध्यात्म की राह पर चल पडा था, रामकृष्ण परमहंस को जीवन समर्पित कर दिया, वह संन्यासी कह रहा है कि 50 साल के लिए अपने देवी देवाताओं को भूल जाओ और सिर्फ भारत मां की पूजा करो. उस महापुरुष के शब्दों की ताकत देखिए कि ठीक 50 साल बाद भारत आजाद हो गया. मेरी तरह और भी बहुत सारे लोग यहां हैं, जिनका जन्म आजाद हिंदुस्तान में हुआ. यह मेरा सौभाग्य है कि मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूं, जो आजाद हिंदुस्तान में पैदा हुआ है. तब जाकर मुङो ज्यादा ही जिम्मेवारी का अहसास होता है. मेरे जैसे आप में से बहुत से लोग हैं, जो आजाद हिंदुस्तान में पैदा हुए. हमें आजादी की लडाई में शामिल होने का मौका नहीं मिला, हमें मां भारती के लिए जेल की सलाखों के पीछे जीवन गुजारने का मौका नहीं मिला है. हमारे भीतर दर्द कसक होनी चाहिए कि हम आजादी के लिए नहीं मर सके, लेकिन आजादी के बाद पैदा हुए हैं तो देश के लिए जी तो जरूर सकते हैं.
हर किसी के नसीब में देश के लिए मरना नहीं होता है, लेकिना जीना होता है. हमारा संकल्प होना चाहिए कि जीयेंगे तो देश के लिए, जूङोंगे तो देश के लिए. यह भावना आज 125 करोड भारतीयों में जगा है. उन्होंने कहा कि आदमी रात में चले तो सुबह पहुंच जाता है, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को यहां आने में 28 साल लग गये. उन्होंने कहा कि मेरे देशवासियों अब आपको 28 साल तक इंतजार नहीं करना पडेगा.
उन्होंने कहा कि जितना हक हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों का है, उतना ही हक यहां रहने वाले मेरे देशवासियों का हम पर है. उन्होंने कहा कि सिडनी खूबसूतर शहर है, आस्ट्रेलिया खूबसूरत देश है. पीएम मोदी ने कहा कि इंडिया आस्ट्रेलिया क्रिकेट के बिना नहीं रह सकते. क्रिकेट ने हमें जोडा, लेकिन इससे पहले कई चीजें रहीं हैं, जिसने दोनों देशों को जोडा है. हमारे कॉमन वैल्यू एक रहे हैं, हमारे लोकतांत्रिक मूल्य ने हमें जोडा है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की ताकत देखिए, अगर लोकतंत्र की उंचाई नहीं होती तो क्या मैं यहां होता. भारत के लोकतंत्र की ताकत को हम पहचानें, जहां सामान्य से सामान्य इनसान भी देश के लिए जीन तय करता है, तो देश भी उसके लिए मरना तय करता है. कभी कभी हम शास्त्रों में पढते हैं कि फलाने सहस्त्र बाहु थे. इसका मतलब उनके पास ऐसे 500 लोग थे, जिनके हजार भुजाओं के कारण ईश्वर भी उनकी सभी इच्छाएं पूरी कर पाते हैं. उन्होंने कहा, लेकिन भारत के पास 250 करोड भुजाएं हैं. यहां की 200 भुजाएं 35 साल से कम आयु की हैं. हिंदुस्तान नौजवान है. युवाओं के इरादे में मजबूत संकल्पशक्ति होती है, वे पत्थर पर भी लकीर खींचने की ताकत रखते हैं.
स्वामी जी ने कहा कि मैं अपनी आंखों से भारत मां का वो रूप देख रहा हूं कि फिर एक बार मेरी भारत मां विश्व गुरु बनेगी. मैं दृढ विश्वास से कहता हूं कि विवेकानंद जी गलत नहीं हो सकते. पीएम के रूप में छह महीने का मेरा अनुभव है, जिससे मैं कह सकता हूं कि देश के सामान्य लोगों ने जो सपने देखे हैं, उसे पूरा करने के लिए भारत मां आशीर्वाद दे रही है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जो भरोसा मेरा है, वह पूरा होगा, यह देश फिर से उठ खडा होगा, हम विकास कर सकेंगे. आपकी वाणी में ताकत है, तो सामान्य मानव की वाणी की ताकत ईश्वर की ताकत हो जाती है. वह ईश्वर का आशीर्वाद हो जाता है. मुङो कोई कारण नहीं लगता है कि हमारा देश पीछे रह जाये. नियति ने उसका आगे जाना तय कर लिया है. हम ढाई अरब भुजाओं को तय करना है, कि हमारा काम दुखियारों के कल्याण के लिए होगा.
आस्ट्रेलिया के जीवन में कोई भी भारतवासी गर्व करता है कि यहां 200 साल पहले भारत से कोई परिवार आया और भारतीयों का यहां का जीवन हिंदुस्तानियों को गर्व दे रहा है. आपने आस्ट्रेलिया को अपना बना लिया है. अपने जीवन मूल्य, व्यवहार के कारण आस्ट्रेलिया का हर नागरिक भी आपसे अपनापन महसूस करता है. एक भारतीय होने के नाते हमारी कर्मभूमि से अपना लगाव व समर्पण भी उतना होना चाहिए, जो आज हम भारतीय भाई बहन आस्ट्रेलिया में कर रहे हैं. यहां मैं कुछ चीजें देख रहा था, सबका उल्लेख तो नहीं कर सकूंगा.
आप देखिए 1964 में टोकियो में जो ओलिंपिंक गेम हुआ, उसमें बखवार सिंह समराय ने आस्ट्रेलिया की ओर से प्रतिनिधित्व किया था. यहां पर बडी तादाद में एंग्लो इंडियन रहते हैं. वे भारत से आकर यहां बसे. एली पिकर ने हॉकी ओलिंपिक में आस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व किया. रेड सेलर व स्अुअर्ट क्लॉर एंग्लो इंडियन थे, लेकिन क्रिकेट में आस्ट्रेलिया का प्रतिनिधि करते थे. लीसा थालेकर पुणो में जन्मी थीं और महिला क्रिकेट में 2013 तक एक हजार रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया. अक्षर ने 12 साल की उम्र में इंटरनेशन फिजिक्स और मैथ्स ओलिंपिक में अपने नाम का डंका बजा दिया. इंदिरा नायडू ने लेखिका के रूप में नाम कमाया. इसके अलावा और भी बहुत सारे भारतीय मूल के लोग हैं, जिन्होंने आस्ट्रेलिया में, उसके गौरव के लिए अपना जीवन खपा दिया. यही भारतीयता है. विश्व में जहां हम हों, उसका प्रेम संपादन करें. उसके लिए काम करें. इसलिए मैं आप सबको हृदय से बहुत बहुत बधाई देता हूं.
मुङो मालूम है कि जब हिंदुस्तान में चुनाव चल रहा था, आपकी उंगली पर तो टीका तो लगने वाला नहीं था, लेकिन चुनाव का वो कोई पल ऐसा नहीं था, जिससे आप जुडे नहीं थे. कोई परिवार ऐसा नहीं था, जिसने चुनाव नतीजे की रात यह तय नहीं किया था कि अब सोना नहीं है. भारत के राजनीतिक परिवर्तन के लिए भारतीय समुदाय का यह जो भाव था, दर्द, पीडा थी, वह इसलिए था कि मैं जहां दुनिया में बैठा हूं, वैसा कब हमारा देश बनेगा.
उनके लिए चुनाव जय परायज का खेल नहीं था. उनके लिए दिल में एक ही आवाज थी कि भारत माता की जय. भारत के कोटि कोटि लोग आज भी बिना पानी बिजली व शौचालय के जीवन गुजार रहे हैं. कई लोगों के मन में बहुत बडे बडे काम करने के सपने होते हैं, वे सपने उन्हें मुबारक. मुङो तो छोटे छोटे काम करने हैं. छोटे छोटे लोगों के लिए करने हैं और छोटे लोगों को बडा बनाने के लिए करना है. आप कल्पना कर सकते हैं कि आज के युग में बैंकिंग सिस्टम से अलग रह कर, आर्थिक मुख्य धारा से बाहर रह कर कोई समृद्ध हो सकता है क्या. हमारे यहां बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था, आप जब हिंदुस्तान में थे, तो बैंक में गरीब को देखा था क्या? मैंने प्रधानमंत्री जन धन योजना बनायी और चाहता हूं कि हर गरीब का बैंक खाता हो.
मैंने रिजर्व बैंक से कहा कि जन धन योजना का काम हो सकता है क्या, मुझसे कहा मोदी जी हो तो सकता है, लेकिन.. पीएम को तो कोई मना कर सकता है नहीं. लेकिन उन्हें तरीके मालूम होते हैं. कहा, तीन साल लगेंगे. मैंने कहा तीन साल बाद सूरज कब उगेगा. मैंने वित्त मंत्रलय को पूछा. मंत्रलय ने कहा दो साल लगेंगे. उन्हें लगा कि मोदी जी खुश हो जायेंगे, दो साल लगेगा तो गाडी चल पडेगी. मैंने अपने कार्यालय के लोगों को बुलाया, उन्होंने कहा कि एक साल तो लगेगा. मैंने सबको सुन लिया और 15 अगस्त को लाल किले पर से बोल दिया और कहा कि यह काम मुङो 150 दिनों में पूरा करना है.
एक साल में औसत एक करोड बैंक एकाउंट खुलते थे. हमने ठान लिया तो 10 मिलियन एकाउंट एक दिन में खुल गया. सरकार, मुलाजिम, दफ्तर वही, फाइल वही, लोग भी वही, काम हुआ कि नहीं. काम हो सकता है या नहीं. देश के गरीब लोगों की ईमानदारी देखिए, मैं आज इस धरती से उन्हें सलाम करता हूं. मैंने नियम बनाया कि जीरो एकाउंट से बैंक खाता खुलेगा. जीरो बैलेंस से जिनका एकाउंट खुलना है, उन्होंने कहा कि मोदी जी ने तो कह दिया लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे. ऐस में 10 दिन में 70 मिलियन एकाउंट खुले और उसमें पांच हजार करोड रुपये जमा करवाये गये. किसी ने 100 रुपये, किसी ने 200 रुपये जमा करवाया. अब उन लोगों को लगता है कि मैं मुख्यधारा से जुड रहा हूं. मेरे कहने का तात्पर्य है कि हमारे देश की ताकत को कम कर नहीं आंके, अगर सही दिशा में उन्हें उंगली पकड कर ले जायें, तो आगे जायेंगे. मैंने उन्हें 26 जनवरी तक के लिए कहा है. सारे बैंक कर्मी लगे हुए हैं.
दो अक्तूबर को मैंने स्वच्छता का काम हाथ में लिया है. दुनिया में स्वच्छता देख कर अपने गली मुहल्ले का ध्यान आता है. हम यहां गंदगी करते हैं क्या, लेकिन भारत में जाते ही गंदगी करते हैं. यह कठीन काम है, महात्मा गांधी भी इसके लिए बहुत आग्रह करते थे. काम अगर कठिन है, तो उसमें हाथ नहीं लगाना चाहिए क्या, भाइयों और बहनों मैंने बहुत बडा संकट मोल लिया है, जो लोग 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हो गये थे, उन्हें जीते जी आजादी देखने को नहीं मिला. लेकिन वे सोचते कि मैं अपने जीते जी आजादी देखूं तभी संघर्ष करूंगा, तो कभी देश को आजादी नहीं मिलती. मैं शौचालय बनाने में लगा हूं.
ईश्वर ने आपको बहुत कुछ दिया है. इस काम में कुछ सहयोग दे सकते हैं तो अच्छा होगा. गंदगी होती है तो बीमारी होती है. बीमारी होती है तो गरीब का करीब छह से सात हजार खर्च होता है. मैं जब बहुत पहले आस्ट्रेलिया आया था, तो लोगों से मिलना जुलना हुआ था, तो मुझसे लोग पूछते कि आस्ट्रेलिया से आप क्या सीखेंगे, मुङो यहां की एक चीज छूती थी, डिग्निटी ऑप लेबर. यह यहां के चरित्र में है. जिस आदर से वह डॉक्टर से बात करता है, उतने ही आदर से ड्राइवर से बात करता है. साइंटिस्ट के रूप में काम करता है, तो विकेंड पर ड्राइवर का भी काम कर लेता है. डिग्नीटी ऑफ लेबर आस्ट्रेलिया से सीखने वाली बात है. स्वच्छता के माध्यम से मैं यह बताना चाहता हूं कि सफाई करना बिलो डिग्नीटी नहीं है. यह बहुत आदर का काम है.
भारत में कोई कचरा उठाने वाला आता है तो हम कहते हैं कि कचरा वाला आया है. लेकिन हकीकत में वह कचरा वाला नहीं, सफाई वाला है. लेकिन हमारी सोच ऐसी हो गयी है कि जो सफाई करने वाला है, उसे भी हम कचरा वाला कहते हैं. मैंने देखा है कि आज हिंदुस्तान में हर जगत के लोगों ने इसमें शामिल होने का बिडा उठाया है. सबको सलाम करता हूं.
मैंने कहा कि 1019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती आ रही है, मैंने कहा है कि गांधी जी ने हमें आजादी दी है हम उनके चरणों में क्या दें, कम से कम साफ सुथरा हिंदुस्तान तो दें. 2019 तक मैं इस बात को आगे बढाना चाहता हूं. स्वच्छता आने से टूरिज्म बढेगा. पूरे विश्व के पास जितना है, उतना अकेले हिंदुस्तान के पास है. हिम्मत तो हम करें. वह मिजाज तो चाहिए, दम भी तो चाहिए, अपने आप पर भरोसा भी तो चाहिए. पुरातन चीजें हमारे पास हैं.
ुदुनिया से हम निवेश चाहते हैं. हम मेक इन इंडिया प्लान लेकर आये हैं. मेरा मकसद एक है कि देश के लोगों को रोजगार मिले. जॉब कैसे पैदा हो, इसके लिए हम दुनिया के लोगों से कह रहे हैं कि भारत में पूंजी लगाइए. इसलिए मेक इन इंडिया अभियान मैंने चलाया, नियमों कानूनों में बदलाव मैंने लाया है.
पूंजी निवेश के लिए जो लोग आते हैं, वे क्वालिटी ऑफ लाइफ देखेंगे. मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब हम जापान के साथ जुडे. जापान के लोग हमारे यहां आये. मैंने प्राइवेट पार्टी से कहा कि मुङो निवेश चाहिए. कोई निवेश के लिए आता है, तो वह क्वालिटी ऑफ लाइफ चाहता है. इसके लिए व्यवस्था विकसित करनी होती है. सिर्फ लुभावने वादे से लोग नहीं आते हैं.
हम रेलवे में सौ प्रतिशत एफडीआई लाने की सोच रहे हैं. भारत में रेलवे में विकास की बहुत बड़ी संभावना है. दुनिया में कई देश ऐसे होंगे जहां रेलवे होगी यात्री नहीं मिलते होंगे. हम नीतिगत ऐसे बदलाव ला रहे हैं जिससे विकास की ऊंची इकाइयों को पार करने के लिए हम आगे बढ़ जा सके. रेलवे में नौकरी के लिए नौजवान क्या करते थे, अखबार में विज्ञापन आता है उन्हें ट्रेनिंग देते थहै . उसके बाद उन्हें नौकरी मिलती है. हमारी कोशिश है कि जिसे रेलवे में नौकरी करनी है वही रेलवे की पढ़ाई करे और इसी क्षेत्र में बेहतर काम करे. दुनिया को बहुत बड़े वर्क फोर्स की जरूरत होने वाली है. आज दुनिया के कई देश है जिसके पास आर्थिक सामर्थ्य है लेकिन वर्क फोर्स नहीं है टेक्नोलॉजी के माध्यम से काम चलाना आसान नहीं है.
हमारे लोगों ने पूरी दुनिया में वर्क फोर्स पहुंचाने के लिए पूरा काम किया है. लेकिन स्कील डवलपमेंट जरूरी है. अगर हम दुनिया में बेस्ट टीचर देते हैं तो पूरी दुनिया को मजबूत बना सकते हैं. हमारे नौजवान को रोजगार मिलेगा विश्व का कल्याण होगा और भारत की जयजयकार होगी. मेरे नौजवान साथियों, भारत का पूरा ध्यान युवा शक्ति पर केंद्रीत करने की जरूरत है. उनकी योग्यता के दम पर पूरी दुनिया पर भारत का लोहा मनवा सकते हैं. अब बाहुबल से नहीं दुनिया बुद्धिबल से चलने वाली है. उसके लिए सामर्थ्य वान नागिरकों को तैयार करना होगा. मैं जानता हूं ये प्यार ये आर्शीवाद ये जयजयकार के भीतर आशाएं है आकाक्षाएं हैं लेकिन मैं जानता हूं आप जिस रूप में भारत देखना चाहते हैं मैं उसी रूप में भारत को बनाना चाहता हूं. देश बनता है देशवासियों की शक्ति के कारण देशवासियों को बढ़ने का मौका दे रूकावटें ना डालें. खुली हवा में सांस लेने थे. उन पर भरोसा जताये
आपको हैरानी होगी. पिछली सरकार ने नये- नये कानून बनाकर खुशी जाहिर की इसे अपनी उपलब्धि बतायी. मेरी गाड़ी उल्टी दिशा में है. मैं कानून खत्म करके खुश हूं. मुझे देश के नागरिकों पर भरोसा है सरकार के भरोसे देश नहीं चलता जनता के भरोसे चलता है. आपको नेता के पास कागज साइन कराने जाना होता होगा. जेरोक्स का जमाना है कोई गैजेटेड( राजप्रत्रित अधिकारी) ऑफिसर सटिफाइड करे तभी हम सही है क्या. अरे अपनों पर भरोसा तो करो भाई हमें अपनों पर भरोसा करना होगा. मैंने उन सारे नियमों को निकाल दिया. आप खूद बताये कि आप सही है और नौकरी लग जाये तो ऑरिजनल पेपर दिखा दें. हम अपने देशवासियों पर भरोसा करें. अगर मैंने गरीबों पर भरोसा नही किया होता, तो बैंको में पाच हजार करोड़ नहीं आते.
हम इसी तरह देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं. हमने सत्यमेव जयते सुना है लेकिन मैंने श्रमेव जयते का एक नया कार्यक्रम शूरू हुआ है. आपकी भी यहां शिकायतें होगी अब उस पर बात कर लेते हैं. जैसे एमबीसी जाते हैं तो कोई सुनता नहीं, ईमेल का जवाब नहीं मिलता. फोन नहीं उठाता. लोग कहेंगे मोदी जी आयो तो सही लेकिन कुछ नहीं बदला लेकिन यकीन मानिये व्यवस्थाएं बदली जा सकती है.
मैंने अमेरिका में भी कुछ बातें कही थी. वहां बैठे लोगों को उस वक्त भरोसा नहीं था. मेरे पहले भी बहुत लोग बोल कर गये होंगे और दुघ का जला छाछ फूंक कर पीता है. जिनके पास पीआईओ वाला कार्ड है उन्हें आजीवन वीजा मिलेगा. पीओआईओ और आईओए के एक करने की मांग को पूरा कर देंगे. इस बार प्रवासी भारतीय दिवस अहमदाबाद में होने वाला है. 1915 जनवरी महीने में एक प्रवासी भारतीय के रूप में महात्मा गांधी वापस आये थे.
इसी के 100 साल पूरे हो रहे हैं और हर विदेशो में रहने वाले भारतीय के लिए एक मिशाल है. पहले जब कोई विदेश से भारत वापस आता था तो उसे बताना होता था कि मैं वही हूं जो विदेश में रहता हूं लेकिन यह तय पुलिस वाला करता था. ये भी हमने खत्म कर दिया. फरवरी में यहां सांस्कृतिक केंद्र शुरू हो जाए इसकी भी कोशिश है. हम एक चीज और शुरू कर रहे हैं वीजा ऑन अराइवल ये सुविधा भी जल्द मिले इस पर काम कर रहे हैं. आपलोग स्पेशल ट्रेन लेकर आये हैं कोई कल्पना कर सकता है क्या, आज काम का दिन और ये जमावड़ा. मैं आपके प्यार के लिए बहुत – बहुत आभारी हूं . देश ने हमें बहुत कुछ दिया है अब हमें देश को वापस देना है. ईश्वर भी प्रसन्न होता है जब हम किसी के काम आते हैं. आप इतनी बड़ी संख्या में आये उसके लिए धन्यवाद
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