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मुस्लिमों की शादी पर परिपत्र में संशोधन करेगी सरकार

तिरुवनंतपुरम: राजनैतिक दलों और महिला संगठनों द्वारा प्रदर्शन के बावजूद मुस्लिम विवाह की उम्र सीमा पर स्थानीय स्वशासन विभाग का परिपत्र वापस लिए जाने की संभावना नहीं है लेकिन बाल विवाह के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ संशोधनों पर विचार किया जा रहा है. परिपत्र में स्थानीय निकायों को 16 साल से […]

तिरुवनंतपुरम: राजनैतिक दलों और महिला संगठनों द्वारा प्रदर्शन के बावजूद मुस्लिम विवाह की उम्र सीमा पर स्थानीय स्वशासन विभाग का परिपत्र वापस लिए जाने की संभावना नहीं है लेकिन बाल विवाह के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ संशोधनों पर विचार किया जा रहा है.

परिपत्र में स्थानीय निकायों को 16 साल से अधिक उम्र की मुस्लिम महिलाओं और 21 साल की उम्र तक नहीं पहुंचे पुरुषों की शादी का पंजीकरण करने का निर्देश दिया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ताजा परिपत्र जारी किया जाएगा जिसमें नगर निकाय अधिकारियों को इस बात को सुनिश्चित करने को कहा जाएगा कि पिछले परिपत्र का उपयोग बाल विवाह के बहाने के तौर पर नहीं किया जाएगा.

विभाग ने इस आधार पर परिपत्र को उचित ठहराया कि उसका उद्देश्य मुस्लिम दंपतियों के समक्ष कठिनाइयों को दूर करना था, जो काम के लिए दूसरे मुल्कों में प्रवास के लिए पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों में पहले ही विवाहित दिखाए जा चुके हैं.

परिपत्र का इसलिए महत्व है क्योंकि स्थानीय स्वशासन विभाग इंडियन मुस्लिम लीग के तहत है. वह सत्तारुढ़ कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार में दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी दल है. इस परिपत्र की कड़ी आलोचना करते हुए विपक्ष के नेता और माकपा के वरिष्ठ नेता वी एस अच्युतानंदन ने कहा कि वह संविधान की भावना के बिल्कुल खिलाफ है और उस कानून के लिए चुनौती है जिसमें महिलाओं के लिए शादी की आयु 18 साल और पुरुषों के लिए विवाह की आयु 21 साल निर्धारित की गई है.

इसे पूरी तरह वापस लेने की मांग करते हुए माकपा के राज्य सचिव पिनाराई विजयन ने इसे ‘खतरनाक’ कदम बताया और कहा कि मुस्लिम समुदाय के भीतर प्रगतिशील तबका खुद इसके खिलाफ आ गया है. वाम समर्थक महिला और सांस्कृतिक संगठनों ने भी परिपत्र की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यह राज्य को मध्य युग में धकेल देगा.

माकपा समर्थक सांस्कृतिक संगठन ‘पुरोगमना कला साहित्य संगम’ के अध्यक्ष प्रोफेसर वी एन मुरली ने कहा, ‘‘बाल विवाह कानूनन प्रतिबंधित है. कठमुल्लावादी तबके के दबाव में किए गए फैसले को खत्म किया जाना चाहिए.’’ केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के निदेशक पी पी बालन ने भी केरल विवाह पंजीकरण :साझा: नियमों के प्रावधानों के तहत इस तरह के निकाहों के पंजीकरण पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा.

सरकार का स्पष्टीकरण है कि मुस्लिम विवाह नियम, 1957 विवाह की उम्र सीमा पर जोर नहीं देता है और बाल विवाह निरोधक कानून, 2006 इस बात को स्पष्ट नहीं करता है कि 21 साल से कम उम्र के पुरुष और 18 साल से कम उम्र की महिला के बीच विवाह अवैध है. इसलिए अनिवार्य आयु को नहीं हासिल करने वाले मुस्लिमों की शादी पंजीकृत की जा सकती है.

वकीलों के अनुसार कोई भी प्रशासनिक आदेश जो वैधानिक कानून के खिलाफ है उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

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