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ये हैं भाजपा की पांच उभरती महिला नेता

नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी में महिला नेताओं की संख्या और धाक दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. भाजपा के सांगठनिक ढांचे में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण है. एक ओर इस आरक्षण का लाभ महिलाओं को भाजपा में अपना राजनीतिक करियर बनाने में मिल रहा है वहीं दूसरी ओर पार्टी का शीर्ष […]

नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी में महिला नेताओं की संख्या और धाक दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. भाजपा के सांगठनिक ढांचे में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण है. एक ओर इस आरक्षण का लाभ महिलाओं को भाजपा में अपना राजनीतिक करियर बनाने में मिल रहा है वहीं दूसरी ओर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी नये राजनीतिक महिला नेतृत्व को उभारने में लगा है.

रैलियों में भी महिला समिति की बढ़ती भागेदारी और रैलियों में गूंजती जयजयकार के नारे अब अलग रूप लेने लगी है. भाजपा में पिछले कुछ दशकों में पार्टी में महिला नेताओं के बढ़ते वर्चस्व को इन पांच नेताओं के बढ़ते रुतबे से आसानी से समझा जा सकता है.
स्मृति ईरानी– एक साधारण अभिनेत्री से नेता तक का सफर तय करने वाली स्मृति ईरानी का सफर आसान नहीं था. हालांकि उनके परिवार में उनके दादा आरएसएस से जुड़े थे और उनकी मांग जनसंघ की सदस्य रही है. एक साधारण परिवार में पैदा हुई स्मृति ने अभिनय करने के लिए कड़ी चुनौती का सामना किया.
1998 में स्मृति मिस इंडिया में फाइनलिस्ट थीं इसके बाद उन्होंने अपना झुकाव अभिनय की तरफ कर लिया. उन्होंने स्टार प्लस के सीरिया आतिश से अपने अभिनय की शुरूआत की. सन 2000 में उन्हें एकता कपूर के चर्चित शो क्योंकि सास भी कभी बहु थी में तुलसी का किरदार निभाया. इस किरदार ने उनकी एक अलग पहचान बना दी. स्मृति ने भाजपा 2003 में ज्वाइन किया और 2004 में महाराष्ट्र महिला विंग की उपाध्यक्ष बन गयीं. 2011 में उन्हें भाजपा महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया. इसी साल उन्हें गुजरात से राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और स्मृति राज्यसभा पहुंच गयी. 2014 में उन्होंने अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा और हार गयीं लेकिन इस बहादुरी से मुकाबला करने का इनाम उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय के रूप में मिला
पंकजा मुंडे- अपने पिता गोपीनाथ मुंडे की राजनीतिक विरासत को अपने मजबूत कंधों पर लेकर आगे बढ़ रही हैं. पंकजा ने महाराष्ट्र की परली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर यह साबित कर दिया है कि अपने पिता की जननेता वाली छवि को वह बेहतर ढंग से अपने साथ लेकर चल सकती हैं.
पंकजा गोपीनाथ मुंडे की बड़ी बेटी हैं उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और साथ ही उन्होंने एमबीएम भी किया है. पंकजा की शादी हो चुकी है और उनका एक बेटा भी है. पिता के देहांत के बाद पंकजा ने उनकी जिम्मेदारी सभाल ली. विधानसभा चुनाव में जीत के बाद पार्टी के नेता उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने लगे हैं.
ऐसे में उनकी कद का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. पंकजा ने भी साफ कर दिया था कि उन्हें मुख्यमंत्री का पद संभालने में कोई परेशानी नहीं है अगर उनके समर्थक उन्हें इस पद पर देखना चाहते हैं तो वह उन्हें निराश नहीं करेंगी.
प्रीतम मुंडे- गोपिनाथ मुंडे की दूसरी बेटी प्रीतम मुंडे ने रिकार्ड तोड़ वोट से जीत हासिल की है. इस जीत ने उनके कद को बढ़ा दिया है. हालांकि जिस राजनीतिक परिवेश से प्रीतम संबंध रखती है वह महाराष्ट्र ही नहीं देश की राजनीति में भी अपनी अलग पहचान रखता है.
दूसरी तरफ प्रीतम ने भी रिकोर्ड तोड़ जीत हासिल करके अपने राजनीतिक क्षमता को प्रदर्शित कर लिया. बिड लोकसभा के उपचुनाव में में प्रीतम ने करीब सात लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत ही बीड से की थी. प्रीत मुडे के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव प्रचार की शुरूआत बयां करती है कि मुंडे परिवार का कद कितना बड़ा है.
मोदी ने इसका जिक्र करते हुए कहा था कि यदि मुंडे जीवित होते तो उन्हें वोट के लिए प्रचार करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. शिवसेना ने जहां मुंडे बहनों के विरुद्ध अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था वहीं राकांपा ने मुंडे की मृत्यु के बाद शरद पवार की घोषणा के अनुरूप प्रीतम के विरुद्ध अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा. दोनों बहनों ने कुछ महीनों में अपनी धाक भारतीय जनता पार्टी में जमा ली है.
साइना एनसी- साइना की पहचान एक सोशल वर्कर, फैशन डिजाइनर और एक नेता के रूप में है. फैशन जगत में उन्हें शानदार साड़ी डिजाइनर के रूप में जाना जाता है. उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सबसे ज्यादा तेजी से साड़ी पहनने का रिकार्ड बयाना है वो भी 54 अलग अलग तरीके से.
ये तो हुई फैशन जगत की बात राजनीति के क्षेत्र में सानिया का नाम अब जाना जाने लगा है. उन्होंने भाजपा 2004 में ज्वाइन किया और प्रवक्ता के रूप में अपनी पहचान बनायी.2010 में उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद में अपनी जगह बनायी. 2014 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया लेकिन एन वक्त पर रामदास अठावले का नाम आगे कर दिया गया. साइना ने प्रवक्ता के रूप में बेहतर काम करने अपनी दावेदारी को साबित कर दिया है.
आसिफा खान– भारतीय जनता पार्टी को विरोधी हमेशा से हिंदुत्व की विचारधारा रखने वाली पार्टी के रूप में देखते रहे हैं. लेकिन कुछ अल्पसंख्यक नेता ने इस ईमेज को तोड़ने की पूरी कोशिश की है. भाजपा की महिला नेता आसिफा खान ने भी इस दिशा में बेहतर प्रयास किये हैं. गुजरात भाजपा ने के नेता के रूप में मात्र दो दशक से अपनी पहचान बनाने में बेहद सफल रही है. आसिफा ने 2012 में भाजपा ज्वाइन किया.
भाजपा ज्वाइन करने के बाद से ही उन्होंने नरेंद्र मोदी के खिलाफ उठने वाले सवालों का जवाब दिया और विरोधियों को चुप कराने में सफल रही. उन्होंने गुजरात में मोदी के द्वारा किये गये काम और यहां महिलाओं के लिए एक निडर राज्य जहां बेधड़क होकर महिलाएं घूम सकें उसकी हमेशा से वकालत की है. टीवी डिबेट में या इसके इतर भी उन्होंने बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी जिससे उनकी पहचान एक दिग्गज नेता के रूप में होने लगी है.

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