नयी दिल्ली: कानून के जानकारों का मानना है कि कोयला खान आवंटन में आज के फैसले से इस घोटाले के आरोपियों पर अपने को निर्दोष साबित करने के लिए दबाव बढ सकता है. इस घोटाले के आरोपियों में कई नामी गिरामी पूर्व मंत्री व सांसद शामिल हैं.
हालांकि अन्य विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि सुनवाई अदालत बिना किसी पूर्वाग्रह के आगे बढती रहेगी और सुनवाई प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के निष्कर्षाें से प्रभावित हुए बिना ही चलेगी. उनका मानना है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला सामान्य तौर पर आवंटन की नीति से जुडा है.
पूर्व विधि मंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने कहा, ‘‘उचित कदम तो यही होगा कि संभाववित प्रभावों के साथ जारी सभी लीज रद्द कर दी जाएं ताकि वे कोई कोयला नहीं निकाल सकें.’’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का निचली अदालत में इस मामले में सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘‘सत्र अदालत में जिन कोयला मामलों की सुनवाई हो रही है वे आपराधिक प्रवृत्ति के हैं इसलिए उच्चतम न्यायालय के फैसले का मौजूदा सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा.’’ दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व जज न्यायाधीश :सेवानिवृत्त: एस एन धींगडा का माना है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला उसके समक्ष पेश तथ्यों पर आधारित है, सुनवाई अदालत इन निष्कर्षों से वैधानिक रुप से बंधी है क्योंकि उन्हें भी उन्हीं तथ्यों को देखना होगा.
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला तथ्यों पर आधारित है और सुनवाई अदालत इन पर विचार करेगी. सुनवाई अदालत उच्चतम न्यायालय के फैसले से बंधी है.’’ वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने कहा कि उन्होंने अभी उच्चतम न्यायालय का फैसला पढा नहीं है लेकिन उनकी राय में निचली अदालत को इसका पालन करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘निचली अदालत इस आदेश से बंधी होगी लेकिन हमें सुनवाई का इंतजार करना होगा. मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि मैंने अभी फैसले का ब्यौरा नहीं देखा है.’’