नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी परीक्षा पर रोक की याचिका खारिज कर दी है.सीसेट मुद्दा लंबे समय से विवादों में है. सीसेट का हिंदी भाषी और अन्य क्षेत्रीय भाषा के छात्र विरोध कर रहे है.
शनिवार के दिन कार्य-दिवस न होने के बावजूद इस मामले में विशेष सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति अरुण मिश्र की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की.
पीठ ने पूरे मामले को करीब आधे घंटे तक सुना पर याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि परीक्षा की मौजूदा प्रणाली विज्ञान पृष्ठभूमि के छात्रों को अनुचित फायदा दिलाती है.
न्यायालय ने कहा, आपने सिर्फ कॉम्प्रीहेंशन के हिस्से की तरफ इशारा किया जबकि उसे हटाया जा चुका है. बीमारी का इलाज तो किया जा चुका है.
पीठ ने यूपीएससी के उस फैसले की ओर इशारा करते हुए यह बात कही जिसमें परीक्षार्थियों से कहा गया है कि वे 24 अगस्त को होने जा रही सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के दूसरे प्रश्न-पत्र सीसैट में अंग्रेजी कॉम्प्रीहेंशन के सवालों के जवाब न दें क्योंकि उनके अंक मेरिट में नहीं जोडे जाएंगे.
याचिकाकर्ता अंगेश कुमार की तरफ से पेश हुए वकील रवींद्र एस गारिया और विशाल सिन्हा ने दलील दी कि सिविल सेवा परीक्षा की मौजूदा प्रणाली ऐसी है जिससे ग्रामीण पृष्ठभूमि एवं मानविकी पृष्ठभूमि के परीक्षार्थियों को नुकसान होता है जबकि इंजीनियरिंग, विज्ञान एवं प्रबंधन पृष्ठभूमि के परीक्षार्थियों को अनुचित फायदा होता है.
इस पर पीठ ने कहा, आपकी मुश्किल दूर की जा चुकी है. लिहाजा, आप बेहतर स्थिति में हैं. आपकी शिकायत का हल तो आपके पक्ष में किया गया है. आपके हिसाब से मेरिट का आकलन नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि ये शैक्षणिक मामले हैं जिनका फैसला सरकार और विशेषज्ञ संस्थाओं पर छोड देना चाहिए.
बहरहाल, पीठ ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्र विज्ञान एवं मेडिकल विषय चुनते हैं और शायद यही वजह होगी कि ऐसे विषयों के लोग परीक्षा में अच्छे परिणाम देते हैं. पीठ ने कहा, सबसे बुद्धिमान छात्र कहां जाते हैं ? सबसे बेहतर तो विज्ञान और मेडिकल का ही रुख करते हैं.