36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

कोलेजियम व्यवस्था पर सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : कोलेजियम व्यवस्था को रद्द करने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार का समय दिया है. इस संविधान संशोधन के तहत उच्च अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को खत्म कर दिया गया है और इसकी जगह नये तंत्र के […]

नयी दिल्ली : कोलेजियम व्यवस्था को रद्द करने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार का समय दिया है.

इस संविधान संशोधन के तहत उच्च अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को खत्म कर दिया गया है और इसकी जगह नये तंत्र के रुप में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का प्रस्ताव किया गया है.

जब याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने आग्रह किया कि उनके मामले पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए तो प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामला सोमवार को सुनवाई के लिए आ रहा है.

कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने और इसकी जगह नया तंत्र लाने के लिए संसद द्वारा दो विधेयक पारित किए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय में एनजेएसी के खिलाफ चार याचिकाएं दायर की गई हैं. याचिकाओं में इस कदम को असंवैधानिक करार दिया गया है. याचिकाएं पूर्व अतिरक्ति सॉलिसिटर जनरल बिश्वजीत भट्टाचार्य, अधिवक्ताओं आरके कपूर और मनोहर लाल शर्मा तथा सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड की ओर से दायर की गयी हैं.

अधिवक्ताओं ने कहा कि संसद में 121वां संविधान संशोधन विधेयक और एनजेएसी विधेयक 2014 असंवैधानिक हैं क्योंकि वे संविधान के आधारभूत ढांचे का उल्लंघन करते हैं.

उन्होंने कहा कि खुद संविधान ही अनुच्छेद 50 के तहत न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करते हुए एक स्पष्ट सीमांकन को मान्यता देता है जो स्वस्थ न्यायिक प्रणाली के लिए अंतर्निहित शक्ति है.

कपूर ने कहा, यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि संविधान के तहत डायरेक्टिव पिं्रसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी का अनुच्छेद 50 न सिर्फ निचली अदालतों पर लागू है, बल्कि शक्ति पृथक्ककरण सिद्धांत के रुप में उच्च अदालतों पर भी लागू है तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की आधारभूत स्थिर विशष्टिता है. भट्टाचार्य ने तर्क दिया कि संविधान उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की प्रत्येक नियुक्ति में और एक उच्च न्यायालय से दूसरे में न्यायाधीशों के प्रत्येक स्थाानांतरण में प्रधान न्यायाधीश को फैसला लेने की शक्ति प्रदान करता है.

उन्होंने कहा, यह शक्ति अब एनजेएसी को स्थानांतरित की जा रही है और उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ प्रधान न्यायाधीश को कार्यपालिका द्वारा वीटो किए जाने की संभावना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्ति पृथक्ककरण के सिद्धांत भारतीय संविधान की इन दोनों आधारभूत विशिष्टताओं के लिए घातक होगी.

राज्यसभा ने 14 अगस्त को जबरदस्त बहुमत से 121वें संविधान संशोधन विधेयक और एनजेएसी विधेयक को मंजूरी दे दी थी. इससे एक दिन पहले लोकसभा ने भी इन्हें मंजूरी प्रदान कर दी थी. लोकसभा ने विधेयक को कांग्रेस द्वारा सुझाए गए और सरकार द्वारा स्वीकार किए गए महत्वपूर्ण संशोधन के साथ पारित कर दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें