नयी दिल्ली : झारखंड में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के लिहाज से संसद का मॉनसून सत्र जुलाई में शुरु किये जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं और इस दौरान संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित कराने का प्रयास भी हो सकता है. इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक वक्तव्य तो नहीं आया है लेकिन झारखंड में राष्ट्रपति शासन 18 जुलाई को समाप्त हो रहा है और यदि सरकार इसे छह और महीने के लिए बढ़ाना चाहती है तो उसे संसद में पहले ही लाना होगा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने झारखंड के बारे में फैसला लेने के लिए आज राहुल गांधी, ए के एंटनी, सुशील कुमार शिंदे और जयराम रमेश आदि वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार विमर्श किया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत, कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह और प्रदेश पार्टी प्रभारी शकील अहमद भी घंटे भर चली चर्चा में मौजूद थे.
कांग्रेस ने कहा कि वह झारखंड में वैकल्पिक सरकार बनाने के मुद्दे पर विचार विमर्श की प्रक्रिया में है. एआईसीसी का दावा है कि वहां सरकार बनाने को लेकर पार्टी की प्रदेश इकाई बंटी हुई है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि झारखंड में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दिल्ली के साथ चुनाव होंगे. पहले खबरों में कहा जा रहा था कि प्रदेश में कांग्रेस के अधिकतर नेता वैकल्पिक सरकार बनाने के पक्ष में हैं लेकिन सोनिया गांधी नहीं चाहतीं कि झामुमो के साथ किसी तरह का गठजोड़ किया जाए.
भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित कराने के मुद्दे पर गेंद कांग्रेस के पाले में डालते हुए कहा कि वह कानून के विरोध में नहीं है. हालांकि पार्टी ने मसौदे में अनेक प्रावधानों में कुछ खामियों की ओर इशारा किया. संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से बातचीत कर रहे हैं. विधेयक को संसद के बजट सत्र में पेश किया गया था लेकिन अनेक मुद्दों पर संसद की कार्यवाही बाधित होने के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी. कांग्रेस इस विधेयक को अगले आम चुनावों के लिहाज से अपने लिए बड़ा लाभकारी मानती है. कृषि मंत्री शरद पवार, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और कुछ अन्य मंत्रियों ने प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के लिए अध्यादेश लाने का विरोध किया है.