नयी दिल्ली: भारत ने श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का जिक्र करते हुए एक आपत्तिजनक आलेख डालने का मुद्दा पडोसी देश के साथ मजबूती से उठाया. श्रीलंका ने इस मुद्दे पर भारत से बिना शर्त माफी मांग ली और आलेख को अपनी वेबसाइट से हटा दिया है.
इस मुद्दे पर भारत में मचे बवाल के बाद भारतीय उच्चायोग ने कोलंबो में इस मामले को श्रीलंका सरकार के समक्ष मजबूती से उठाया. इसके बाद पडोसी देश के रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट से आलेख को हटा दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ जयललिता से भी बिना शर्त माफी मांगी.
श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी एक बयान के मुताबिक, ‘‘हम भारत के प्रधानमंत्री और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री से बिना शर्त माफी मांगते हैं.’’ विवादित आलेख श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया था. इस आलेख के साथ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री जयललिता की ग्राफिक्स से तैयार की गई एक तस्वीर भी थी. आलेख वेबसाइट पर डाले जाने के कुछ ही घंटों बाद भारत में इस पर विवाद पैदा हो गया. भाजपा के सहयोगी दल पीएमके और एमडीएमके ने श्रीलंका से कूटनीतिक संबंध खत्म करने तक की मांग कर डाली.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आपत्तिजनक आलेख के बारे में पता चलने पर सरकार ने तत्परता दिखाई और इसका तत्काल परिणाम भी निकला. उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने तत्परता से काम लिया. हमने अपना मकसद पूरा कर लिया और यदि आगे की किसी कार्रवाई की जरुरत पडी तो हम निश्चित तौर पर उस पर विचार करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे.’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि जैसे ही हमने मामले को उठाया, हमें तत्काल संतोषजनक परिणाम मिला और ठेस पहुंचाने वाला आलेख हटा लिया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि आगे कुछ करने की जरुरत होगी तो हम उन पर निश्चित तौर पर विचार करेंगे.’’
इससे पहले, जयललिता ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वह आलेख के मुद्दे पर श्रीलंका सरकार से बिना शर्त माफी मांगने को कहें. श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि ‘हाउ मीनिंगफुल आर जयललिताज लव लेटर्स टू नरेंद्र मोदी ?’ शीर्षक वाला आलेख बगैर उचित अनुमति के प्रकाशित किया गया था और उसे वेबसाइट से हटा लिया गया है.
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘‘उचित अनुमति के बगैर प्रकाशित किए गए आलेख में श्रीलंका सरकार या रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक स्थिति नहीं दर्शाई गई है और आलेख को हटा लिया गया है.’’