नयी दिल्ली: जीएम फसलों के पराक्षण पर पहले भी विवाद होता रहा है. विवादों के चलते केंद्र सरकार ने जीएम (जेनेटिकली मॉडीफाइड) फसलों के परीक्षण पर सरकार ने रोक लगा दी है.
भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल इस प्रक्रिया को खतरनाक बताते हुए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बातचीत कर इन सभी फसलों में जीएम बीजों के जमीनी परीक्षण को रोकने की मांग की थी.प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इसका पहले वैज्ञानिक मूल्यांकन कर लिया जाना चाहिये.
इससे पहले जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल समिति इसी महीने में ही सुरक्षित घेरे में खेती के परीक्षण के 15 प्रस्तावों को मंजूरी दी थी. धान, बैंगन, मटर, सरसों और कपास की फसल इसमें शामिल किया गया था.
विवाद पर पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने स्वदेशी जागरण मंच के विरोध के कारण 15 जीएम फसलों के खेतों में परीक्षण पर रोक लगा दी है. पर्यावरण मंत्रालय ने इस मामले में कहा है कि फसलों के जमीनी परीक्षण का फैसला सरकार ने नहीं बल्कि समिति ने लिया था.
जीएम फसलों को लेकर विरोध को देखते हुए जेनेटिक इंजिनियरिंग एप्रूवल समिति बनाई गई थी. जीएम फसलों पर लंबे समय से विवाद चलता आ रहा है. इसके पक्ष में कहने वालों का मत है कि जीएम फसलों से उत्पादन से उपज मे बढ़ोतरी हो जायेगी. जबकि विरोधियों का मत है कि इससे दूसरी फसलें बर्बाद हो जायेंगी.
जीएम फसलों के आ जाने से किसानों के हालात और बिगड़ जायेंगे. यह एक बहुत बड़े तबके के जीवन और आर्थिक स्थिति का सवाल है. इसके आ जाने से बीज का अधिकार किसान के पास नहीं रह पायेगा. बीजों के लिये किसानों को कंपनियों का मुंह ताकना पड़ेगा.