कौमी एकता की मिसाल हैं अशोक भाई और कुतुबुद्दीन अंसारी, गुजरात दंगो में कट्टर दुश्मन हुआ करते थे

अहमदाबाद: साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान दो अलग-अलग संप्रदायों के ‘पोस्टर ब्वॉय’ बन गए अशोक परमार और कुतुबुद्दीन अंसारी जब अहमदाबाद में सालों बाद मिले तो उनकी आंखों में सुलगते नफरत की बजाय सुकून भरा प्यार दिखा. मौका था अशोक परमार की नयी जूते-चप्पलों की दुकान के उद्घाटन का जिसके लिए परमार ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 10, 2019 3:10 PM

अहमदाबाद: साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान दो अलग-अलग संप्रदायों के ‘पोस्टर ब्वॉय’ बन गए अशोक परमार और कुतुबुद्दीन अंसारी जब अहमदाबाद में सालों बाद मिले तो उनकी आंखों में सुलगते नफरत की बजाय सुकून भरा प्यार दिखा. मौका था अशोक परमार की नयी जूते-चप्पलों की दुकान के उद्घाटन का जिसके लिए परमार ने कुतुबुद्दीन अंसारी को आमंत्रित किया था.

‘सेमिनार में हुई थी मुलाकात’

इस मौके पर अशोक कुमार ने बताया कि मुझे साल 2014 में एक सेमिनार के लिए बुलाया गया था जहां कुतुबुद्दीन भी आमंत्रित थे. हम वहीं दोस्त बन गए. कुछ साल पहले उन्होंने (कुतुबुद्दीन) किताब लिखी जिसे मैंने लॉंच किया. हाल ही मैंने जूते-चप्पलों की नई दुकान खोली जिसका उद्घाटन करने के लिए कुतुबुद्दीन को आमंत्रित किया.

उन्होंने कहा कि मैंने ये संदेश देने की कोशिश की है कि आज का अहमदाबाद अतीत के अहमदाबाद से अलग है. आज यहां हिन्दू-मुस्लिम सौहार्दपूर्ण वातावरण में साथ रहते हैं. दिलचस्प है कि अशोक परमार की इस दुकान का नाम ‘एकता चप्पल शॉप’ है.

‘समय सभी घावों को भर देता है’

कुतुबुद्दीन अंसारी ने कहा कि अशोक भाई ने मुझसे उनकी दुकान का उद्घाटन करने का अनुरोध किया जिसे मैंने स्वीकार कर लिया. मैंने उन्हें इस शुरुआत के लिए बधाई दी और कुछ खरीददारी भी की. कुतुबुद्दीन ने कहा कि समय सभी घावों को भर देता है.

उन्होंने कहा कि अगर हम इस बात पर कायम रहें कि किसी बहकावे में नहीं जाएंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा. अंसारी ने कहा कि हमारे समाज में लोग एक-दूसरे के बारे में सोचते हैं और यही भारत की पहचान है.

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