कर्नाटक संकटः फ्लोर टेस्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला है अटका, मगर बयानबाजी तेज

कर्नाटक में उपजे सियासी संकट का रहस्य अभी तक बरकरार है. राज्य की राजनीति पर पूरे देश की निगाह बनी हुई है. मामला सुप्रीम कोर्ट से लेकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट तक आ पहुंचा है. बीते शुक्रवार से विश्वास मत पर चर्चा हो रही है लेकिन मतदान नहीं हो पा रहा. बागी विधायकों ने सुप्रीम […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 1:09 PM

कर्नाटक में उपजे सियासी संकट का रहस्य अभी तक बरकरार है. राज्य की राजनीति पर पूरे देश की निगाह बनी हुई है. मामला सुप्रीम कोर्ट से लेकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट तक आ पहुंचा है. बीते शुक्रवार से विश्वास मत पर चर्चा हो रही है लेकिन मतदान नहीं हो पा रहा. बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उनके खिलाफ कांग्रेस और जदएस ने भी शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की.आज के सु्प्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अब कर्नाटक सरकार का फैसला बुधवार को ही आ पाएगा.

इस बीच सत्तारुढ़ गठबंधन और भाजपा नेताओं की बयानबाजी सुर्खियों में है. बता दें कि यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब एक पखवाड़े पहले सत्तारुढ़ कांग्रेस-जदएस गठबंधन के 13 विधायक बागी हो गए. बागी विधायकोंका मान मनौव्ल का दौर चलता रहा. कर्नाटक की सियासी उथलपथल की धमक मुंबई और दिल्ली तक पहुंची. इस पूरे मामले में पढ़ें वो बयान जो चर्चा में रहे.

विधायकों के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने भाजपा पर ‘हार्स ट्रेडिंग’ का आरोप लगाया. कहा कि भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को पैसे का लालच दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरामैया ने ‘ऑपरेशन कमल’ का आरोप लगाया. कहा कि जिस पार्टी को जनता ने बहुमत नहीं दिया वो पार्टी अब पैसे के दम पर बहुमत में आना चाहती है. इस बयान पर भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि आगे आगे देखें कि होता क्या है. अभी तो और भी विधायक पार्टी छोड़ेंगे.
भाजपा नेता जे शेट्टर ने कहा कि जब से गठबंधन के तहत कुमारस्वामी की सरकार बनी है तब से ही अंदरुनी लड़ाई में उलझी है. इसका अंत होगा. भाजपा फिर सत्ता में आएगी.
फ्लोर टेस्ट के लिए जब राज्यपाल वजु भाई पटेल ने डेडलाइन दिया तो कांग्रेस विधायक एचके पाटिल ने कहा कि राज्यपाल को विधानसभा में दखलअंदाजी नहीं करना चाहिए. ऐसा करना संविधान के तहत सही नहीं होगा.
कांग्रेस नेता एमबी पाटिल ने सियासी संकट पर कहा कि यह सबकुछ अपने आप नहीं हो रहा है. इसके पीछे भाजपा का हाथ है. अगर ऐसा नहीं है तो वो फ्लोर टेस्ट के लिए जल्दबाजी में क्यों हैं. अब जब विश्वास मत पर चर्चा हो रही है तो वो शोर शराबा कर कार्यवाही में व्यवधान पैदा कर रहे हैं.
केरला प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष इश्वर खांडरे ने इस सियासी उथल पथल के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने भाजपा विधायक शोभा करांडे का नाम लेकर कहा कि वो खेल मंत्री रहीम खान को अपने पाले में लाने के लिए पैसे की पेशकश की थी.इस बयान पर शोभा करांडे ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.
ये पब्लिक है सब जानती है
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक में यह सभी को पता राज्य में उपजा सियासी संकट की वजह क्या है. एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के कारण ही दो धुर विरोधी पार्टी कांग्रेस और जदएस एक साथ मिले और सत्ता पर कब्जा जमाया. कम सीट लाने वाली पार्टी(जदएस-37) का नेता राज्य का मुख्यमंत्री बना. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सत्तारुढ़ पार्टी की स्थिति खराब रही. चुनाव नतीजों के बाद ही राज्य सरकार पर संकट मंडराने लगा. अलग अलग कारणों का हवाला देकर कांग्रेस और जेडीएस के विधायक बागी हो गए. सूबे में बीते 15 दिन से सरकार का नाटक देखकर जनता आश्चर्य में है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि हो क्या रहा है.
उनका कहना है कि सत्तारुढ़ पार्टी जिन्हें ये लग रहा है कि वो राज्य की सेवा कर रहे हैं, उनसे पूछा जाए कि क्या वो लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं. कर्नाटक में खुलेआम लोकतंत्र की हत्या हो रही है. प्रदेश की जनता चाहती है कि सरकार में जारी घमासन का अंत हो. और राज्य के प्रति कार्यदायी दायित्वों को पूरा करें. सरकार के इस लड़ाई में नुकसान राज्य का हो रहा है.
विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में कर्नाटक के सियासी बवाल पर लोकतंत्र की हत्या शब्द का प्रयोग किया जा रहा है. राज्य में कांग्रेस और भाजपा के विधायक एक दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं. राज्य के अन्य दूसरे दल इस सियासी घमासान से परेशान हैं.

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