नयी दिल्लीः भारत के संसदीय राजनीति में नृपेंद्र मिश्र को मोदी का प्रधान सचिव बनाने का मुद्दा विवादों में घिरा हुआ है. मोदी सरकार 1967 बैच के आईएएस अधिकारी और टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के पूर्व अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को ही प्रधान सचिव बनाने में अड़ी हुई हैं. यहां तक कि वे इसके लिये कानून में संशोधन करने जा रहे हैं.
आज इससे संबंधित ट्राई संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया है. इसके बाद इसे राज्य सभा में रखा जाएगा जहां पास होने के बाद मिश्र की नियुक्ति पर मुहर लग जाएगी. यह कहा जा रहा है कि आखिर क्या कारण है कि मोदी सरकार मिश्र को ही प्रधानसचिव बनाने पर अडे हुए हैं.
जानकारों ने इसके कुछ संभावित कारण बतलाये हैं जो इस प्रकार है
1. प्रधानमंत्री मोदी के काम करने का अपना अलग स्टाइल
प्रधानमंत्री को एक दृढ़ निश्चयी प्रशासक के तौर पर जाना जाता है और इनके काम करने का एक अलग अंदाज है. मोदी वैसे प्रशासकों के साथ काम करना पसंद करतें हैं जिनसे उनका आइडिया मेल खाता हो. गुजरात में भी जब वे मुख्यमंत्री थे उस वक्त भी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वे अपने पसंद के नौकरशाहों को ही अपनी सरकार में प्रमुखता देते थे.
2. नौकरशाह के रुप में नृपेंद्र मिश्र की छवि
69 वर्षीय मिश्रा अपनी ईमानदारी और निडरता के लिए जाने जाते हैं. उन्हें तुरंत निर्णय लिए जाने की क्षमता के कारण भी जाना जाता है. हो सकता है इन सारी छवियों के कारण मोदी ने नृपेंद्र मिश्रा को ही प्रधान सचिव चुना.
3. मिश्र का लंबा अनुभव
नृपेंद्र मिश्र का अपने कार्यों का लंबा अनुभव रहा है. हार्वर्ड से शिक्षा प्राप्त मिश्रा उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार के कई विभागों में भी कार्यरत रहें हैं. मिश्रा ट्राई के अलावे वाणिज्य मंत्रालय और उर्वरक मंत्रालय में भी काम कर चुके हैं. मोदी चूंकि केंद्र सरकार में पहली बार पद भार संभाल रहे हैं तो ऐसे में मिश्रा के अनुभव का लाभ मोदी ले सकते हैं.
वाणिज्य मंत्रालय में मिश्र के अनुभव का फायदा मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय फोरम जैसे डब्ल्यूटीओ आदि में उठा सकते हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व टेलिकॉम मंत्री अरुण शौरी के साथ भी इनके अच्छे संबंध हैं और उनके कार्यों का अनुभव इन्हें प्राप्त है जिसका लाभ मोदी सरकार को मिल सकता है.
4. मिश्र का उत्तर प्रदेश से संबंध होना
जानकारों के मुताबिक उपरोक्त कारणों के अलावा मिश्र को ही प्रधान सचिव बनाने का एक जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है वह है मिश्रा का उत्तरप्रदेश से संबंध होना. मिश्र कल्याण सिंह सरकार में भी कल्याण सिंह के प्रधान सचिव रह चुके हैं और इन्हें कल्याण सिंह का नजदीकी माना जाता है. मिश्र का मौजूदा गृह मंत्री राजनाथ सिंह व और उस वक्त कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रहे कलराज मिश्र जैसे नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध रहे हैं. इन दोनों नेताओं ने भी मिश्र की प्रधान सचिव के तौर पर पुनः नियुक्ति की अनुशंसा की थी.
5. उत्तर प्रदेश में होनेवाला आगामी विधानसभा चुनाव
अगले साल उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. इस वर्ष यूपी में पार्टी की शानदार विजय को देखते हुए ऐसा माना जाता है कि मिश्र के यूपी में अच्छी छवि और उनके वहां के स्थानीय होने का लाभ पार्टी को मिल सकता है.