नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ढांचागत क्षेत्र की खासकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं में तेजी लाने के लिये कई उपायों की आज घोषणा की. उन्होंने जोर देकर कहा कि बुनियादी ढांचे की कमी से आर्थिक वृद्धि प्रभावित नहीं होने दी जाएगी.
जेटली ने कहा, ‘‘देश अब बुनियादी ढांचे की कमी तथा उदासीन राजकाज को और भुगतने को तैयार नहीं है. आज हमारे सामने बेहतद चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि हमें वृद्धि को गति देने की जरुरत है. खासकर विनिर्माण और ढांचागत क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन जुटाने की चुनौती है जो हमारे विकास के लिये जरुरी है.’’ संसद में अपना पहला बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक संस्थान गठित किया जाएगा जो पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) को दुरुस्त करने मदद करेगा. 3 पी इंडिया नाम से इसका गठन 500 करोड के कोष से किया जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बडे पीपीपी बाजार के रुप में उभरा है. करीब 900 परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं. पीपीपी ने कुछ अच्छी ढांचागत परियोजनाएं दी हैं जिसमें हवाईअड्डा, बंदरगाह तथा राजमार्ग शामिल हैं. इसे वैश्विक स्तर पर विकास के एक मॉडल के रुप में देखा जा रहा है.
जेटली ने कहा कि लेकिन हमने पीपीपी की रुपरेखा में कमजोरी तथा अनुबंधात्मक व्यवस्थाओं में कठोरता देखी है. हमें अनुबंध के अत्याधुनिक माडल के विकास तथा त्वरित विवाद निपटान प्रणाली की जरुरत है. वित्त मंत्री ने यह चिंता ऐसे समय जतायी है जब नियामकीय बाधाओं के कारण 110 केंद्रीय ढांचागत परियोजनाओं में देरी हुई है.
वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सडक, बंदरगाह, हवाईअड्डों, रेलवे, शहरी, गरीबी तथा औद्योगिक ढांचागत समेत सभी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा में सुधार को लेकर प्रतिबद्ध है. साथ ही पर्याप्त कोष प्रवाह तथा परियोजनाओं के वित्त पोषण की व्यवस्था करने को लेकर दृढ संकल्प है.
जेटली ने रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट के लिए अनुकूल कर प्रावधान करने की घोषणा भी की. नगरपालिकाओं के लिये उनके ऋण दायित्वों को पूरा करने के लिये बनाये गये मौजूदा कोष को बढाने की घोषणा की. बजट में शहरी क्षेत्रों में ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये कई बैंकों की भागीदारी के साथ कोष बढाकर 50,000 करोड रुपये किया गया है.