नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक नियामक गठित करने संबंधी विधेयक को आज मंजूरी दे दी. विधेयक में परियोजनाओं के बारे में भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर डेवलपर को जेल भेजने तक का प्रावधान है. मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए रीयल एस्टेट (नियमन एवं विकास) विधेयक में आवास क्षेत्र के लिए एक समान नियामकीय माहौल उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है. विधेयक में डेवलपरों के लिए यह अनिवार्यता है कि वे संबंधित प्राधिकरणों से सभी सांविधिक मंजूरियां लेने के बाद ही परियोजना शुरु कर सकेंगे.
सूत्रों ने कहा कि साथ ही इसमें यह भी प्रावधान है कि रीयल एस्टेट परियोजनाओं के लिए सभी संबंधित मंजूरियों का प्रस्ताव नियामक को सौंपना होगा और साथ ही इसे निर्माण शुरु करने से पहले अपनी वेबसाइट पर डालनी होगी. प्रस्तावित कानून में परियोजना के संबंध में भ्रामक विज्ञापन करने से बिल्डरों को रोकने के लिए कुछ सख्त प्रावधान भी किए गए हैं.
पहली बार गलती करने वाले बिल्डर पर परियोजना लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है और बार बार गलती करने पर उसे जेल जाना पड़ सकता है. केंद्रीय आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री अजय माकन इस विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी दिलाने का प्रयास करते रहे हैं. इससे पहले इसे 2 अप्रैल को मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया गया था, लेकिन मतभेदों के चलते इसे मंजूरी नहीं दी जा सकी.
विधेयक में एक डेवलपर के लिए प्रत्येक परियोजना के लिए एक अलग बैंक खाता रखने की भी अनिवार्यता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक विशेष काम के लिए जुटाए गए धन का अन्यत्र उपयोग न किया जा सके. प्रस्तावित कानून में ‘कारपेट एरिया’ के लिए स्पष्ट परिभाषा उपलब्ध होगी और साथ ही निजी डेवलपरों को ‘सुपर एरिया’ जैसे भ्रामक आधार पर मकान या फ्लैट बेचने की मनाही होगी.