मुंबई : राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में एक स्थानीय अदालत के समन के अनुरुप आज अदालत में पेश हुए. सीबीआई ने मामले में उनके खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था. कटारिया के अलावा आरके मार्बल के निदेशक विमल पाटनी भी अदालत में पेश हुए जबकि आंध्र प्रदेश के आईपीएस अधिकारी एन बालासुब्रमण्यम तथा इंसपेक्टर श्रीनिवास राव ने पेशी से छूट देने का आवेदन दाखिल किया था.
विशेष सीबीआई अभियोजक ऐजाज खान ने कहा, ‘‘हमने अदालत को बताया कि सभी चारों आरोपियों ने विशेष सीबीआई अदालत में जमानत आवेदन दाखिल किये हैं और उनकी जमानत अजिर्यों पर फैसला होने तक मामले को स्थगित किया जाना चाहिए.’’विशेष सीबीआई अदालत ने कटारिया, पाटनी, बालासुब्रमण्यम और राव को 14 जून तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था. मेट्रोपोलिटन अदालत ने आज मामले की सुनवाई 21 जून तक के लिए स्थगित कर दी. कटारिया और तीन अन्य के खिलाफ 14 मई को दाखिल आरोपपत्र के अनुसार शेख ने पाटनी से जबरन वसूली के तौर पर 24 करोड़ रुपये मांगे थे और यही वजह थी जिसकी वजह से उसे मार दिया गया.
सीबीआई ने पहले भी कहा था कि शेख अपने जबरन वसूली के गिरोह का प्रसार राजस्थान में करना चाहता था और उसने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए धन मांगा था. जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि कटारिया ने गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह से पाटनी का परिचय कराया. सीबीआई के अनुसार पाटनी के संपर्क में आने के बाद शाह ने गुजरात पुलिस की मदद से पूरी मुठभेड़ का तानाबाना बुना था. उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 27 सितंबर को सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले को महाराष्ट्र स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. इससे पहले सीबीआई ने कहा था कि गवाहों को डराया धमकाया जा रहा है और गुजरात में निष्पक्ष तथा स्वतंत्र तरीके से सुनवाई नहीं हो सकती.
शाह गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृह मंत्री थे और मुठभेड़ मामले में उनका नाम आने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा. शाह पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनाव में जीते थे. शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को कथित तौर पर गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते ने हैदराबाद से उठाया था और नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था.