आधार : मनमोहन में काम और मोदी सरकार में फैसला, इन सवालों के उत्तर से दूर करें भ्रम

नेशनल कंटेंट सेल देश के हर नागरिक को पहचान देने की महत्वाकांक्षी योजना तीन सरकारों से गुजर चुकी है. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कारगिल समिति ने पहली बार राष्ट्रीय डेटाबेस की जरूरत बतायी थी. कृष्णास्वामी सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में बनी समिति ने कहा था कि सीमा पर सुरक्षा के लिए डेटाबेस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 27, 2018 8:50 AM

नेशनल कंटेंट सेल

देश के हर नागरिक को पहचान देने की महत्वाकांक्षी योजना तीन सरकारों से गुजर चुकी है. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कारगिल समिति ने पहली बार राष्ट्रीय डेटाबेस की जरूरत बतायी थी. कृष्णास्वामी सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में बनी समिति ने कहा था कि सीमा पर सुरक्षा के लिए डेटाबेस जरूरी है. 2003 में राष्ट्रीय पहचान पत्र पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ. शरणार्थी संकट से निबटने के समाधान के तौर पर राष्ट्रीय पहचान पत्र (एनपीआर) को 2004 में आधिकारिक पहचान मिली.
कांग्रेस सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन कर किया नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का प्रावधान किया. दूरसंचार एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय ने 2006 में गरीबी की रेखा से नीचे वाले (बीपीएल) के लिए यूनिक आइडी योजना को प्रशासनिक मंजूरी दी. नागरिकों को यूनिक नंबर जारी करने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) बना. तय किया गया कि यह योजना आयोग के अंतर्गत काम करेगा. जुलाई में नंदन नीलेकणी को इसका पहला अध्यक्ष चुना गया. पहला आधार कार्ड 2010 में महाराष्ट्र के तेंभली में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने जारी किया था.
डेटा नष्ट करना होगा मोबाइल कंपनियों को
मोबाइल फोन को आधार से जोड़ने को निजता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं से कहा कि वे ग्राहकों का आधार डेटा नष्ट कर दें. यूआईडीएआई महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र और जमा करता है और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. इन आंकड़ों का व्यक्ति की सहमति के बगैर कोई तीसरा पक्ष या निजी कंपनियां दुरुपयोग कर सकती हैं.
कराना होगा केवाईसी : कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कंपनियों को आपका आधार डेटा नष्ट करना पड़ेगा. अब, ग्राहकों को एक बार फिर से केवाईसी की औपचारिकता पूरी करनी पड़ेगी. इसके लिए पासपोर्ट, पैन कार्ड, वोटर आइडी कार्ड जैसे दस्तावेज का इस्तेमाल कर सकते हैं.
-63.3 करोड़ खाता धारक अपने 97 करोड़ खातों को आधार से लिंक करवा चुके हैं
-डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर होगा भारी जुर्माना
धन विधेयक के रूप में पारित नहीं होना चाहिए था आधार कानून विधेयक
आधार पर फैसला देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार विधेयक को लोकसभा में धन विधेयक के रूप में पारित नहीं होना चाहिए था, क्योंकि यह संविधान के साथ धोखा है.
आधार के नाम पर सब्सिडी से नहीं किया जा सकता वंचित: जस्टिस भूषण
पीठ में शामिल जस्टिस अशोक भूषण ने बहुमत के फैसले से सहमति जतायी, लेकिन कुछ मसलों पर असहमति भी जाहिर की. खासकर सरकारी सुविधाओं के मामले में उन्होंने अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि वह बहुमत के साथ हैं, लेकिन तीन मसलों पर उनकी राय अलग है. उन्होंने कहा कि आधार के कारण उचित लाभार्थियों को सब्सिडी, सरकारी सुविधाओं और अन्य लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आधार कानून की धारा 57 को भी रद्द कर दिया.
92 साल के जज ने दी थी आधार कार्ड की वैधता को पहली चुनौती
आम लोगों से जुड़ी कई चीजों के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म करने को लेकर पहले याचिकाकर्ता 92 वर्षीय पूर्व जस्टिस केएस पुट्टास्वामी थे. 2010 में चाय पर बातचीत के दौरान सरकार द्वारा नागरिकों के फिंगर प्रिंट लेने की आलोचना हुई और उन्होंने इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल कर दी.
2012 में मिली आधार की वैधता को चुनौती, 2018 में आया फैसला
जनवरी 2009 : योजना आयोग ने यूआईडीएआई को अधिसूचित किया
2010-2011 : भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण विधेयक, 2010 की शुरुआत
नवंबर 2012 : रिटायर्ड जज केएस पुट्टास्वामी ने आधार की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर कीं
मार्च 2016 : आधार विधेयक, 2016 लोस में पेश, धन विधेयक के तौर पर पारित
2017
मई : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आधार विधेयक को धन विधेयक माने जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार बताया
दिसंबर : सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न सेवाओं व योजनाओं को आधार से जोड़ने के लिए समय सीमा 31 मार्च, 2018 तक बढ़ी
2018
07 मार्च : परीक्षाओं में पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं
13 मार्च : योजनाओं को जोड़ने की तिथि 31 मार्च से अगले आदेश तक के लिए बढ़ी
17 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जतायी कि आधार आंकड़े के दुरुपयोग का खतरा है
25 अप्रैल : कोर्ट ने आधार को मोबाइल से आवश्यक रूप से जोड़े जाने पर सवाल उठाये
10 मई : सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर फैसला सुरक्षित रखा
26 सितंबर : सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा लेकिन कुछ प्रावधानों को हटा दिया
इन सवालों के उत्तर से दूर करें भ्रम :
आधार संवैधानिक है, अनिवार्य नहीं. निजी कंपनियां अब नहीं कर सकतीं मनमानी
-क्या अब भी आधार कार्ड वैध है?
आधार कार्ड संवैधानिक है, अनिवार्य नहीं. पहचान के तौर पर इसे इस्तेमाल किया जा सकता है.
-क्या निजी कंपनियों को देनी होगी आधार की जानकारी?
निजी कंपनियां आधार को लेकर अपनी मनमानी नहीं कर सकती हैं. यानी अब पेटीएम जैसी कोई भी निजी कंपनी आधार के लिए मजबूर नहीं कर सकती हैं.
-क्या आधार कार्ड की नकल संभव है?
आधार कार्ड पर हमला संविधान के खिलाफ है, इसकी डुप्लीकेसी का कोई खतरा नहीं है.
-क्या परीक्षाओं के लिए आधार कार्ड जरूरी है?
सीबीएसई, नीट, यूजीसी जैसी संस्थाएं अब किसी परीक्षा के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं कर सकती हैं.
-क्या आयकर भरने में आधार कार्ड की जरूरत होगी?
आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड अभी भी जरूरी है.
-क्या अभी भी पैन कार्ड के लिए आधार जरूरी है?
पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है.
-क्या आम आदमी का डेटा सुरक्षित है?
आधार कार्ड सुरक्षित है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि सरकार जल्द से जल्द आधार कार्ड में डेटा सुरक्षित करने के लिए कानून बनाये.
आधार से जुड़े विवाद
क्रिकेटर एमएस धौनी का डेटा हुआ था लीक
मार्च, 2017 में आईटी मिनिस्ट्री के अधिकारी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एमएस धौनी से जुड़े लोग उनके घर जाकर आधार अपडेट कर रहे थे. इसी क्रम में एक ट्वीट द्वारा धौनी का फॉर्म अपलोड हो गया, जिस पर आपत्ति जताते हुए उनकी पत्नी साक्षी ने सवाल उठाये थे.
आधार हैक का दावा
एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ने तीन महीने तक चले अपने एक इन्वेस्टिगेशन के बाद दावा किया गया था कि आधार में एक सॉफ्टवेयर पैच है जो आधार आईडेंटिटी डेटाबेस में स्टोर डेटा की सिक्योरिटी को खतरे में डाल देता है. इसके बाद आधार यूआईडीएआई ने सफाई दी थी.
500 रुपये में आधार डेटा
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक व्हाट्सएप ग्रुप से एक पत्रकार ने सिर्फ 500 रुपये में यह सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया. Rs 300 अधिक देने पर आधार प्रिंट करने का एक्सेस भी मिल गया.

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