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अरूणा राय को सरकार से उम्मीद

नयी दिल्ली: हाल ही में सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद से अलग होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय ने एनएसी द्वारा पूर्व-विधायी परामर्श प्रक्रिया पर सिफारिशों को अंतिम रुप देकर सरकार को भेजे जाने का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि सरकार इन्हें स्वीकार कर लेगी. राष्ट्रीय सलाहकार परिषद […]

नयी दिल्ली: हाल ही में सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद से अलग होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय ने एनएसी द्वारा पूर्व-विधायी परामर्श प्रक्रिया पर सिफारिशों को अंतिम रुप देकर सरकार को भेजे जाने का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि सरकार इन्हें स्वीकार कर लेगी.

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के ‘शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही’ से संबंधित कार्यसमूह की प्रमुख के नाते अरूणा रॉय पिछले काफी समय से मनरेगा और पूर्व-विधायी प्रक्रिया को लेकर काम कर रहीं थीं. उन्होंने मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने समेत कुछ सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने पर पिछले दिनों निराशा जताई थी.

उन्होंने आज जारी वक्तव्य में अनिवार्य पूर्व-विधायी परामर्श प्रक्रिया के लिए एनएसी द्वारा सिफारिशों के मसौदे को अंतिम रुप देकर सरकार को भेजे जाने का स्वागत किया है और कहा है कि अगर इन महत्वपूर्ण सिफारिशों को सरकार मान लेती है तो सरकारी आदेश जारी किया जाएगा जिससे पहली बार कानून और विधेयक बनाने में नागरिकों की सहभागिता होगी.एनएसी ने सरकार से सिफारिश की है कि कानून बनाने से पहले शुरुआती स्तर पर ही जनता की राय जानकर आम लोगों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना अनिवार्य बनाना चाहिए.एनएसी ने गत 28 मई को अपनी सिफारिशों को सरकार को भेजा है. इससे पहले परिषद ने जनता की राय मांगी थी.

अरूणा के मुताबिक, ‘‘एनएसी की सिफारिशों को पिछले हफ्ते सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को भेजा. हमें उम्मीद है कि वे इन्हें स्वीकार करेंगे और तत्काल अमल में लाएंगे.’’ अरूणा ने आज मजदूर किसान शक्ति संगठन के सदस्य के ओहदे से जारी वक्तव्य में कहा है, ‘‘जब जनता खुद से जुड़े फैसलों के लिए अपनी बात रखने का अवसर देने की मांग कर रही है , ऐसे में नागरिकों को विधायी प्रक्रिया में योगदान का मौका देने के प्रावधान से भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व-विधायी परामर्श प्रक्रिया कार्यपालिका या विधायिका के अधिकार क्षेत्र का हनन नहीं करती बल्कि शुरुआती स्तर पर महत्वपूर्ण सुझावों को प्राप्त करते हुए कानून बनाने की मौजूदा प्रक्रिया को और मजबूत करती है.’’ अरूणा के अनुसार इस प्रक्रिया का क्रियान्वयन पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि शुरुआत से ही नागरिकों की सहभागिता होगी.

उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि पूर्व विधायी प्रक्रिया के लिए प्रस्तावित सरकारी आदेश एक कानून की शक्ल लेगा.’’ एनएसी से अलग होने का निर्णय लेने के बाद अरूणा ने पिछले हफ्ते केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा था कि सरकार गरीब जनता की कीमत पर आर्थिक सुधारों और विकास पर ध्यान दे रही है.मनरेगा के तहत न्यूनतम वेतन को बढ़ाने के एनएसी के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा खारिज किये जाने पर उन्होंने कहा था कि संप्रग-2 सरकार ने गरीबों के हित के मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

एनएसी की सदस्य के तौर पर अरूणा रॉय का कार्यकाल गत 31 मई को समाप्त हो गया. उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उन्हें एनएसी में एक और कार्यकाल देने पर विचार नहीं किया जाना चाहिए. सोनिया ने उनके आग्रह को मान लिया था.

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