नयी दिल्ली:मैक्समूलर मार्ग पर स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में आज हिंदी जगत के मूर्धन्य साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉक्टर विश्वनाथ त्रिपाठी को वर्ष 2013 का व्यास सम्मान दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार उनकी रचना ‘व्योमकेश दरवेश’ के लिए दिया गया.
तेइसवें व्यास सम्मान को आज यहां हिंदी के वरिष्ठ समालोचक प्रोफेसर नामवर सिंह की अध्यक्षता में एक समारोह में त्रिपाठी को दिया गया. यह सम्मान उन्हें उनकी आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखी गई जीवनी ‘व्योमकेश दरवेश’ के लिए दिया गया. इस सम्मान में उन्हें एक प्रशस्ति पत्र, एक स्मृति चिन्ह और 2,50,000 नगद रुपये प्रदान किये गये. यह पुरस्कार के. के. बिरला फांउडेशन की तरफ से प्रतिवर्ष हिंदी साहित्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान किए गए उत्कृष्ट लेखन के लिए दिया जाता है.
कार्यक्रम का शुभारंभ द्वीप प्रज्जवलन करके किया. इसके पश्चात फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सुरेश रितुपर्ण ने व्यास सम्मान की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और सभी अतिथियों का परिचय कराया.कार्यक्रम में उपस्थित पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यप्रसाद दीक्षित ने ‘व्योमकेश दरवेश’ का परिचय और साहित्य में उनके महत्व को रेखांकित करते हुए उसे एक विरल पुस्तक बताया.
दीक्षित ने कहा, ‘‘पिछले दशक में जो कीर्तिमान स्थापित हुये हैं उनमें से एक यह पुस्तक भी है. आचार्य जी की इतनी यथार्थपरक और रचनात्मक जीवनी आजतक नहीं लिखी गयी है. साथ में हिंदी साहित्य में निकट भविष्य में ऐसी कोई जीवनी लिखे जाने की संभावना भी नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ’‘व्योमकेश दरवेश एक आत्मकथात्मक समालोचना है और इसकी विशेषता यह है कि जिस हस्ती (आचार्य द्विवेदी) का वर्णन यह करती है, उनके शिष्य इसे उन्हीं की शैली में वैसा ही शोधपरक लिखा है.’’