नयी दिल्ली:खुफिया ब्यूरो (आइबी) के पूर्व निदेशक और लाल डेंगा से लेकर जम्मू कश्मीर और पंजाब में आतंकवादियों के छक्के छुड़ाने वाले अजीत कुमार डोभाल का नरेंद्र मोदी सरकार में देश का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनना तय हो गया है. 1999 में कंधार में आतंकवादियों द्वारा अपहृत एयर इंडिया के विमान आइसी 814 के संकट से निबटने में भी डोभाल ने अहम भूमिका अदा की थी. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही केंद्र सरकार में सबसे पहली नियुक्ति संभवत यही होगी. यह जानकारी देनेवाले उच्च स्तरीय सूत्रों का यह भी कहना है कि अपनी नियुक्ति से पहले ही डोभाल ने अनौपचारिक तौर पर नरेंद्र मोदी सरकार के आंतरिक सुरक्षा का खाका तैयार करना और सलाह देना शुरू कर दिया है.
डोभाल ने ही दी राष्ट्राध्यक्ष बुलाने की सलाह
सार्कदेशों के राष्ट्राध्यक्षों को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बुला कर एक नयी परंपरा शुरू करने की सलाह भी डोभाल ने ही दी थी. आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए डोभाल एनसीटीसी जैसी केंद्रीय कृत व्यवस्था के पक्ष में हैं. लेकिन डोभाल का कहना है कि इस मामले में मीडिया में जो भी चल रहा है वह अटकलबाजी है और उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है और न ही वह किसी को कई सलाह दे रहे हैं. बताया जाता है कि लाल कृष्ण आडवाणी और संघ परिवार के भरोसेमंद माने जाने वाले अजीत डोभाल चुनाव नतीजे आने के बाद राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिले थे.
कौन हैं डोभाल
केरल कॉडर के 1968 बैच के आइपीएस अधिकारी रहे अजीत डोभाल एनडीए सरकार के दौरान आइबी के निदेशक नियुक्त हुए थे और 2005 तक इस पद पर रहे. इस समय वह गैर सरकारी संस्था विवेकानंद केंद्र की शाखा विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक हैं. वह कर्नाटक सरकार के सुरक्षा सलाहकार भी रह चुके हैं. उन्हें बेहद तेज तर्रार अधिकारी माना जाता है और आम तौर पर सैन्य बलों को वीरता के लिया दिया जाने वाला उच्च सम्मान कीर्ति चक्र 1988 में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किया गया. भारतीय पुलिस पदक पाने वाले वह सबसे युवा अधिकारी थे.