नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को आमंत्रित किए जाने पर कुछ सहयोगी और विरोधी दलों के विरोध को देखते हुए भाजपा ने आज सफाई दी कि यह केवल भारत में लोकतंत्र का जश्न मनाने का अवसर है और इसे देशों के बीच के द्विपक्षीय मुद्दों के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
राजग में शामिल एमडीएमके और पीएमके सहित तमिलनाडु के द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने राजपक्षे को बुलाए जाने पर अपनी सख्त आपत्ति जताई है जबकि शरीफ को निमंत्रण देने पर सवाल उठाते हुए कांगे्रस ने कहा है कि अभी कुछ दिन पहले तक भाजपा कहती आयी है कि पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरु करने का सही समय अभी नहीं आया है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने हालांकि पाकिस्तान और श्रीलंका के सरकार प्रमुखों को आमंत्रित करने को सही ठहराते हुए कहा, दक्षेस के सभी सदस्य देशोें के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण देना विश्व में भारतीय लोकतंत्र और उसकी शक्ति का जश्न मनाना है. इसे देशों के बीच के द्विपक्षीय मुद्दों के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
भाजपा नीत राजग में शामिल एमडीएमके के नेता वाइको ने मोदी तथा भाजपा अध्यक्ष से कल मुलाकात करके राजपक्षे को निमंत्रण देने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है. द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने भी मोदी के इस निर्णय पर सवाल उठाया है.एमडीएमके के नेता वाइको ने तो आज यह घोषणा तक कर डाली कि उनका दल 26 मई को शपथ ग्रहण समारोह के दिन दिल्ली में राजपक्षे को काला झंडे दिखाएगा.