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कांग्रेस के बडे नेताओं के एक मंच पर आने से उत्साह

भोपाल : मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रदेश के सभी बडे नेताओं को गुटबाजी छोडकर एक होने की सीख और आम कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बडे नेताओं के एक मंच पर लाने की मांग के बीच कांग्रेस के शनिवार को एक […]

भोपाल : मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रदेश के सभी बडे नेताओं को गुटबाजी छोडकर एक होने की सीख और आम कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बडे नेताओं के एक मंच पर लाने की मांग के बीच कांग्रेस के शनिवार को एक मंच पर सभी बडे नेताओं के एकजुट प्रदर्शन से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है.

राहुल गांधी ने हाल ही में अपनी दो दिवसीय म.प्र. यात्रा के दौरान प्रदेश कांग्रेस में बडे नेताओं के बीच गुटबाजी पर नाराजगी जाहिर करते हुए उनसे कहा था कि वे गुटबाजी छोड एक हो जायें जबकि आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए पार्टी का आम कार्यकर्ता भी बार बार यह मांग कर रहा था कि पार्टी के बडे नेताओं को वर्ष 1992 में डबरा सम्मेलन की तर्ज पर एक मंच पर आकर एकजुटता का परिचय देना चाहिये लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के अनेक प्रयासों के बावजूद ऐसा नहीं हो पा रहा था.

वर्ष 2008 के विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस कार्यकर्ता ऐसी ही मांग करते आ रहे थे लेकिन उस समय गुटों में बंटी कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देने में विफल साबित हुई थी और कांग्रेस को विधान सभा चुनाव में मात्र 73 सीटों पर ही संतोष करना पडा था.

यह स्थिति तब बनी थी जब उमा भारती भारतीय जनता पार्टी छोड चुकी थी और भारतीय जनशक्ति पार्टी के बैनर तले उन्होने उस समय चुनाव लडा था. उस समय भाजपा का मत प्रतिशत 42 से घटकर 37 पर आ गया था इसके बावजूद वह 143 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में आने में कामयाब हो गई थी.

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