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मनमोहन ने कहा,मेरे 10 साल का कार्यकाल ‘खुली किताब”

नयी दिल्ली : संप्रग सरकार की दस साल तक अगुवाई करने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद आज प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. प्रधानमंत्री अपने सरकारी आवास 7 रेसकोर्स रोड से राष्ट्रपति भवन गये और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप दिया. राष्ट्रपति भवन […]

नयी दिल्ली : संप्रग सरकार की दस साल तक अगुवाई करने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद आज प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. प्रधानमंत्री अपने सरकारी आवास 7 रेसकोर्स रोड से राष्ट्रपति भवन गये और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप दिया.

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में बताया गया, राष्ट्रपति ने मनमोहन सिंह का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनसे और उनके मंत्रिपरिषद के सहयोगियों से आग्रह किया कि नयी सरकार के गठन तक अपने पदों पर बने रहें। मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ने एक-दूसरे को गुलदस्ते भेंट किये.

मुखर्जी पूर्व में बतौर वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के रुप में मनमोहन सिंह काबिना में रह चुके हैं. सिंह ने राष्ट्रपति को अपने इस्तीफे के साथ 15 वीं लोकसभा भंग करने संबंधी कैबिनेट के प्रस्ताव को भी सौंपा. इस भेंट के बाद मनमोहन सिंह को विदा करने मुखर्जी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण तक आए. प्रांगण में दोनों एक दूसरे से देर तक हाथ मिलाते और आपस में बातचीत करते देखे गये.

इससे पहले राष्‍ट्र को संबोधित करते हुएप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि उन्होंने देश की सेवा करने के लिए अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ कोशिश की है और उनका 10 साल का कार्यकाल ‘खुली किताब’ है. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि चुनावों में जनता ने जो फैसला दिया है, उसका सम्मान होना चाहिए. उन्होंने आगामी सरकार की सफलता की कामना की.

अपने कार्यकाल के बारे में सिंह ने कहा कि भारत ने कई सफलताएं और उपलब्धियां देखीं और हमें उस पर गर्व होना चाहिए. पिछले एक दशक में देश काफी मजबूत हुआ है. लेकिन अभी भी विकास की असीम संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रुप में वह अंतिम बार देश को संबोधित कर रहे हैं. दस साल पहले जब उन्हें प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा गया तो कर्मठता को अपना हथियार बनाते हुए और सच्चाई को अपना संकेत दीप बनाते हुए उन्होंने इसे स्वीकार किया और साथ ही ये प्रार्थना भी थी कि वह हमेशा सही काम करें.

सिंह ने कहा कि आज जब वह अपना पद छोड रहे हैं तो उन्हें पता है कि अंतिम फैसले जिसका हम सभी सर्वशक्तिमान की ओर से इंतजार करते हैं, उससे पहले जनता की अदालत में फैसला होता है, जिसे सभी निर्वाचित अधिकारियों और सरकारों को मानना होता है. उन्होंने देशवासियों से कहा कि हममें से हर किसी को उस फैसले का सम्मान करना चाहिए जो आपने दिया है. अभी अभी संपन्न हुए चुनावों ने हमारी लोकतांत्रिक राजनीति की आधारशिला को मजबूत किया है.

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