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उत्तर प्रदेश के हर कोने में खिला कमल

!!राजेंद्र कुमार!!लखनऊ:भाजपा ने उत्तर प्रदेश में करिश्मा कर दिया. समूचा विपक्ष यहां धराशायी हो गया. कांग्रेस दो तथा सपा छह सीटों पर यहां सीमित हो गयी. बसपा, रालोद और ‘आप’ का खाता तक नहीं खुला. भाजपा को 71 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को दो सीटें मिलीं भाजपा की इस जीत का हीरो राज्य […]

!!राजेंद्र कुमार!!
लखनऊ:भाजपा ने उत्तर प्रदेश में करिश्मा कर दिया. समूचा विपक्ष यहां धराशायी हो गया. कांग्रेस दो तथा सपा छह सीटों पर यहां सीमित हो गयी. बसपा, रालोद और ‘आप’ का खाता तक नहीं खुला. भाजपा को 71 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को दो सीटें मिलीं भाजपा की इस जीत का हीरो राज्य के लोगों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी माना है कि मोदी लहर के चलते सपा का नुकसान हुआ. यूपी की कुल 80 संसदीय सीटों में इतनी सीटें भाजपा ने कभी नहीं जीती थीं. भाजपा के खाते में इतनी सीटें आना क्या मोदी लहर का परिणाम है? मुजफ्फरनगर दंगे की इसमें क्या भूमिका रही? पार्टी संगठन का योगदान इस जीत में क्या रहा? इन सवालों के जवाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी कहते हैं कि यूपी में भाजपा की जीत में मुजफ्फरनगर दंगे की कोई भूमिका नहीं रही है.

भाजपा को पूरे देश में जीत मिली है. यूपी में भी मोदी का विकास का एजेंडा लोगों को भाया और हम यहां जीते. बाजपेयी कहते हैं कि मोदी की लहर और अमित शाह द्वारा तैयार की गयी रणनीति का परिणाम है यूपी में भाजपा की ऐतिहासिक जीत. जीत ऐसी कि कांग्रेस अमेठी और रायबरेली सीट तक सिमट कर रह गयी. भाजपा की यह रणनीति क्या थी? इस पर अमित शाह कहते हैं कि यूपी के लोग सपा, बसपा की जातिवादी राजनीति और कांग्रेस के कुशासन से उकता गये थे. इन दलों की हकीकत को जनता के बीच रखा गया. लोगों को बताया गया कि सपा एक परिवार की पार्टी बन कर रह गयी है. वहीं बसपा सिर्फ जाति की राजनीति करती है, देश और प्रदेश के विकास को लेकर उसकी कोई सोच नहीं है. जबकि कांग्रेस में वंशवाद हो रहा है. महंगाई व भ्रष्टाचार पर कांग्रेस सरकार अंकुश नहीं लगा सकती. जनता को यह बताते हुए पार्टी संगठन को यूपी में मजबूत किया गया.

पार्टी कार्यकर्ताओं ने आक्र मक तरीके से सपा-बसपा की जातिवादी राजनीति के चलते यूपी के पिछड़ेपन को जनता के बीच रखा. शाह कहते हैं कि यूपी की जनता ने जैसे ही मोदी के विचारों को जाना यूपी में मोदी की आंधी चलते लगी. बाजपेयी कहते हैं कि यूपी में मोदी के विकास मॉडल पर जनता ने विश्वास किया. यही वजह है कि बीते लोकसभा चुनावों में यूपी में 20 संसदीय सीटों पर जीत हासिल करनेवाली बसपा इस बार यहां एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी. बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोदी को गुजरात का हत्यारा बताते हुए यूपी में सभी 80 संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे. मायावती ने जाति-समुदाय के आधार पर वोट हासिल करने की रणनीति के तहत सबसे अधिक ब्राrाण और मुसलिम उम्मीदवार यहां खड़े किये. कुछ इसी तर्ज पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने जातीय समीकरणों का ध्यान रखते हुए अपने प्रत्याशी तय किये और अन्य दलों से आये लोगों को टिकट दिया.

मुसलिम मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए मोदी को निशाने पर रखा. कांग्रेस, रालोद और ‘आप’ ने भी मोदी के विकास मॉडल पर उंगली उठायी और मुसलिम समाज से एकजुट होकर भाजपा और मोदी को सबक सिखाने की अपील इन दलों ने की. इसके विपरीत मोदी और अमित शाह ने पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के जरिए नियोजित तरीके से गुजरात का विकास मॉडल यूपी के गांव-गांव तक पहुंचाया. 400 से अधिक वीडियो रथों के जरिए मोदी के संदेश को गांव-गांव में लोगों को दिखाया गया. मोदी की रैलियों के भाषण भी लोगों को सुनाये गये. यूपी के हर जिले में मोदी की रैलियां हुईं जिनमें मोदी ने देश में सुशासन लाने का दावा किया. जबकि अन्य लोग मोदी पर हमले तक सीमित रहे. यूपी के लोगों को मायावती, मुलायम, सोनिया और राहुल का यह अंदाज नहीं भाया. यूपी के लोगों ने देश के विकास की बात करने वाले मोदी और उनके सिपहसलारों पर भरोसा किया और भाजपा को यूपी में ऐतिहासिक जीत हासिल हो गयी.

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