हालांकि यह चुनाव अन्य कारणों के साथ-साथ विवादित बयानों के लिए भी याद किया जायेगा, मगर बाबा रामदेव द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ दिया गया बयान सबसे अधिक विवादास्पद माना जा रहा है.
कभी योग शिविरों और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार की वजह से दुनिया भर में मशहूर होने वाले बाबा रामदेव ने काले धन के मसले पर आंदोलन कर राजनीति में जगह बनायी. हालांकि योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उन्हीं जैसी निर्विवाद सफलता मिली थी, वह राजनीति के क्षेत्र में मिलती नजर नहीं आ रही. खास तौर पर रामलीला मैदान में आंदोलन के दौरान हुए लाठी चार्ज के बाद से वे लगातार किसी न किसी विवाद में फंसते रहे हैं. कुछ विवाद तो बाहरी भी हैं, मगर कुछ विवाद उन्होंने खुद अपनी अनियंत्रित बोली की वजह से मोल लिये हैं.
25 दिसंबर, 1965 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में पैदा हुए बाबा रामदेव का असली नाम रामकृष्ण यादव है. उनका जन्म अलीपुर गांव में रामनिवास यादव और गुलाबो देवी के घर हुआ. उन्होंने कई गुरुकुलों में रहते हुए भारतीय शास्त्र, योग और संस्कृत की पढ़ाई की. इसी दौरान वे संन्यासी बन गये और बाबा रामदेव कहलाने लगे. जींद के एक गुरुकुल में रहते हुए वे अक्सर गांव के लोगों को योग का मुफ्त प्रशिक्षण दिया करते थे. वहां से वे हरिद्वार चले गये और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में कई सालों तक उन्होंने भारतीय शास्त्रों का अध्ययन किया. हिमालय की गुफाओं में रहकर उन्होंने ध्यान और प्राणायाम का भी अभ्यास किया है.
रामदेव के जीवन की राह तब बदली जब 2003 में उन्होंने आचार्य नितिन सोनी के साथ मिलकर दिव्य योग ट्रस्ट की शुरुआत की. आस्था चैनल ने उस वक्त सुबह के स्लॉट में उनके योग के कार्यक्रम का प्रसारण शुरू किया. धीरे-धीरे योगाचार्य के रूप में उनकी शोहरत फैलने लगी. हर शहर में उनके योग शिविर आयोजित होने लगे. देश-विदेश की हस्तियां उनसे योग सीखने के लिए उनके आश्रम पहुंचने लगीं. अमिताभ बच्चन और शिल्पा शेट्टी जैसी फिल्मी हस्तियों ने उनसे योग सीखा है. वे ब्रिटिश पार्लियामेंट और यूनिवसिर्टा ऑफ टैक्सास के कैंसर इंस्टीच्यूट में भी योग शिविर का संचालन कर चुके हैं. योग के मामले में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देवबंद में मौलवियों को भी उन्होंने योग सिखाया है, ऐसा करने वाले वे पहले गैर मुसलिम हैं. उन्होंने कई देशों में लोगों को योग सिखाया है. खुद कोफी अन्ना उन्हें संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया.मगर योग और आयुर्वेद के चलते जो प्रतिष्ठा उन्होंने हासिल की वे उसे राजनीति में प्रवेश करने के बाद बरकरार नहीं रख सके. 2011 में अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में वे दल-बल के साथ सक्रिय हुए. बाद में वे खुध काला धन के मसले पर राजनीति में कूद पड़े. ामदेव की तसवीर मीडिया में छायी रही. कहते हैं इस तसवीर ने बाबा की छवि को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया.
बाद में उनके सहयोगी बालकृष्ण पर कई गंभीर आरोप लगे और वे फरार हो गये. बाबा रामदेव भाजपा से नजदीकी का प्रदर्शन करते हुए इन दिनों लगातार कांग्रेस के खिलाफ आक्रमक हैं.