नयी दिल्ली : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गायों औरमुस्लिमों एवं दलितों की हत्या रोकने के लिए सरकार से मांग की है कि वह गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे. उन्होंने कहा कि ऐसा करने सेगाय की जानें तो बचेंगी ही, इन्सानों की भी जानें बचेंगी. मदनी नेदेश में गौमांस खाने और गायों के कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की. वह न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत कर रहे थे.
Do one thing, make a law to declare cow the national animal, this way both cows and human lives will be safe. This will be useful for the country: Maulana Arshad Madni, President, Jamiat Ulema-e-Hind in Saharanpur (6.2.18) pic.twitter.com/UvdMQC0ZxO
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 7, 2018
पहले भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग करने वाले मदनी ने कहा कि गाय का दूध और घी बहुत ही फायदेमंद है. अगर हम इसे प्रयोग करते हैं, तो सेहतमंद रहेंगे. उन्होंने कहा कि दिन-प्रतिदिन गौ हत्या को लेकर देश का माहौल बिगड़ता जा रहा है. गौ हत्याओं के बाद भड़की हिंसा में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं.
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मदनी ने कहा कि गाय के कारण देश के कई राज्यों में हिंसाएं हो रही हैं. इसका ज्यादातर नुकसान मुसलमानों और दलितों को हो रहा है. गौहत्या के आरोप में इन्हें निशाना बनाया जाता है. मदनी ने कहा, ‘मैं कहना चाहूंगा कि हमें अपने देश के लोगों के जज्बातोंसे नहीं खेलना चाहिए. गाय को सुरक्षित रखा जा सके, इसलिए उसे राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए.’
मौलाना ने पिछले दिनों कहा था कि गौ-रक्षक धर्म की आड़ में लूट और हत्याएं कर रहे हैं. हम अपने हिंदू भाइयों की धार्मिक भावना का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी को देश का कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. पिछले साल मौलाना मदनी ने गौ रक्षकों द्वारा गाय को बचाने के लिए की जा रही हिंसाओं को रोकने के लिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी.
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मौलाना ने कहा, ‘असम में, झारखंड में, राजस्थान में,उत्तरप्रदेश में गाय की वजह से लोगों का कत्ल किया जा रहा है. हमें ऐसी कोशिश करनी चाहिए, जिससे गाय का वजूद भी महफूज रहे और देश का वजूद भी महफूज रहे.’ उन्होंने कहा, ‘इसका सबसे अच्छा तरीका है कि गाय को कानूनी रूप से सुरक्षित कर दिया जाये. ठीकवैसे ही जैसे मोर और कुछ अन्य जानवरों को कानूनी संरक्षण दिया गया है. ऐसा हो गया, तो गायें भी महफूज रहेंगी और इंसान भी महफूज रहेंगे.’
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि8 साल मेंगौरक्षा के नाम पर जो हिंसाएंहुईहैं,उसमें जितने लोग हिंसा का शिकार हुए, उसमें 57 प्रतिशत लोग मुसलमान थे. इन हिंसाओं में मारे गये लोगों में 86 प्रतिशत मुसलमानथे.