नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने रेयान इंटरनेशनल स्कूल समूह के तीन प्रमुख पदाधिकारियों की अग्रिम जमानत बरकरार रखते हुए इसे चुनौती देनेवाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी. यह याचिका गुरुग्राम स्थित इस समूह के स्कूल में सात वर्षीय छात्र की हत्या से संबंधित मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गयी है. न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति अभय एम सप्रे की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि उसे उच्च न्यायालय के 21 नवंबर केआदेश में हस्तक्षेप करने का कोई उचित कारण नहीं मिला है.
पीठ ने कहा कि इस अपराध में रेयान इंटरनेशनल समूह के ट्रस्टियों रेयान पिंटो, ग्रेस पिंटो और आगस्टाइन पिंटो की संलिप्तता उस समय तक साबित नहीं की जा सकती जब तक उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हों. कक्षा दो का छात्र प्रद्युमन आठ सितंबर को स्कूल के शौचालय में खून से लथपथ मिला था और उसका गला रेता हुआ था. हरियाणा पुलिस ने इस अपराध के सिलसिले में शुरू में स्कूल के बस कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया था. उसे हाल ही में निचली अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया है. यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था. जांच ब्यूरो ने 11वीं कक्षा के एक छात्र को इस हत्या के मामले में पकड़ा था.
पीठ ने कहा, न्यायालय की सुविचारित राय में जांच ब्यूरो को इस अपराध में पिन्टो की संलिप्तता के बारे में अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना है और आरोप पत्र दाखिल होने तक अंतरिम जमानत के माध्यम से संरक्षण के लिए उन्होंने मामला बनाया है. इसलिए आरोप पत्र दाखिल होने तक प्रतिवादियों को अंतरिम जमानत देने के उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश में कमी नहीं पायी जा सकती.
पीठ ने कहा कि आज की तारीख तक जांच ब्यूरो को इस मामले में पिंटो से पूछताछ करके उनकी भूमिका का विश्लेषण करना है और इसमें उनकी भूमिका के बारे में कोई साक्ष्य नहीं हैं और यहां तक कि उनकी ओर कोई इशारा तक नहीं है. न्यायालय ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि इस अपराध के बारे में पुलिस और जांच ब्यूरो की प्राथमिकी में भी पिंटो के खिलाफ या उनकी संलिप्तता के बारे में कोई आरोप नहीं है जिसे मीडिया ने प्रमुखता से छापा था. पीठ ने इस छात्र के पिता बरुण ठाकुर की इस दलील को ठुकरा दिया कि अंतिरम जमानत के लिए सत्र अदालत की बजाय सीधे उच्च न्यायालय जाकर पिंटो धोखाधड़ी में संलिप्त हुए हैं.