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केजरीवाल ने शाजिया के शब्दों को बताया गलत, उद्धेश्य को सही

वाराणसीः शाजिया इल्मी की विवादित टिप्पणी को लेकर बढ़ते हमलों के बीच आप नेता अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि शाजिया ने गलत शब्दों का चयन किया और उनका उद्देश्य चुनावी लाभ के लिए समुदायों के बीच नफरत पैदा करना नहीं था. हालांकि केजरीवाल ने अपनी पार्टी की सहयोगी द्वारा इस तरह के शब्दों के […]

वाराणसीः शाजिया इल्मी की विवादित टिप्पणी को लेकर बढ़ते हमलों के बीच आप नेता अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि शाजिया ने गलत शब्दों का चयन किया और उनका उद्देश्य चुनावी लाभ के लिए समुदायों के बीच नफरत पैदा करना नहीं था.

हालांकि केजरीवाल ने अपनी पार्टी की सहयोगी द्वारा इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल की निंदा की. शाजिया अपनी टिप्पणी को लेकर सभी राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गयी है.आप नेता ने कहा, ‘‘चुनाव आयोग के अनुसार सांप्रदायिक शब्द की परिभाषा किसी व्यक्ति द्वारा दो समुदायों के बीच नफरत भडकाने की कोशिश करना है. अगर शाजिया के ऐसा करने का कोई संकेत मिलता, तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाता.’’

केजरीवाल ने कहा, ‘‘उनके शब्दों का चयन सही नहीं था. हम इसकी निंदा करते हैं. वह कहना चाहती थीं कि आप लोग (मुस्लिम) अपने बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य के लिए स्वार्थी बनें. हम उनके शब्दों के इस्तेमाल को सही नहीं ठहराते.’’ गौरतलब है कि शाजिया ने मंगलवार को कहा था कि मुस्लिम इस बार वोट डालते समय अपने भले के लिए ‘सांप्रदायिक’ हो जाए और ‘ज्यादा धर्मनिरपेक्ष’ ना बने.

शाजिया ने एक वीडियो में कहा था, ‘‘ज्यादा धर्मनिरपेक्ष मत बनो. मुस्लिम काफी धर्मनिरपेक्ष हैं और उन्हें सांप्रदायिक बनने की जरुरत है. वे सांप्रदायिक नहीं हैं और खुद के लिए मतदान नहीं करते. अरविंद केजरीवाल हम लोगों के हैं. मुस्लिम लंबे समय तक धर्मनिरपेक्ष रहे..कांग्रेस के लिए मतदान किया और उन्हें जिताने में मदद की. इतना धर्मनिरपेक्ष मत बनिए और इस बार अपने घर (समुदाय) की ओर देखिए.’’

गाजियाबाद लोकसभा सीट से आप की उम्मीदवार ने कहा था, ‘‘दूसरे दलों के वोट बैंक उनके साथ हैं और मुस्लिमों का वोट बंट रहा है. यह विवादास्पद बयान है लेकिन हमें अपने हितों की ओर देखना चाहिए.’’ शाजिया ने कल अपना बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी हल्के फुलके ढंग से की गयी बातचीत का हिस्सा थी और उनका लहजा एवं स्वर व्यंग्यात्मक था.

शाजिया ने कहा, ‘‘यह टिप्पणी अनौपचारिक माहौल में हल्के फुल्के ढंग से की गयी बातचीत का हिस्सा थी. टिप्पणी के लहजे और स्वर से साफ होता है कि मैं धर्मनिरपेक्ष एवं सांप्रदायिक शब्द का इस्तेमाल व्यंग्यात्मक तरीके से कर रही हूं.’’ उन्होंने कहा कि उनका बयान तोडा मरोडा और गलत अर्थ में पेश किया जा रहा है.

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