नयी दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय कंसाॅर्टियम आॅफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आर्इसीआर्इजे)नेरविवार रात पेराडाइज पेपर्स जारी किये जिसमें विश्व के ताकतवर लाेगों और कंपनियों की गतिविविधियां उजागर हुईं हैं. इसमें 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं, जिसमें सत्तापक्ष एवं विपक्ष के कई सांसदों का नाम शामिल है. आइसीआइजे और 95 मीडिया भागीदारों ने विदेशों में विधि कंपनियों की लीक हुई और एक करोड़ 34 लाख फाइलों और कर चोरी एवं काला धन छुपाये जाने के मामले में सुरक्षित देशों में कंपनी रजिस्ट्रियों की छानबीन की. ये फाइलें जर्मनी के अखबर सुदेचुसचे जैतुंग ने आइसीआइजे के साथ शेयर कीं. इसे भारत में इंडियन एक्सप्रेस ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है. इस सूची में बिहार-झारखंड दो सांसद समेत 714 भारतीयों के नाम हैं, जिसमें कई बड़े नेता शामिल हैं. बिहार से भाजपा सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा और झारखंड के हजारीबाग से सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के नाम का इसमें उल्लेख किया गया है. रवींद्र किशोर सिन्हा आरके सिन्हा के नाम से मशहूर हैं. जयंत सिन्हा ने इस मामले में सफाई दी है कि उन्होंने कहा कि किसी भी निजी उद्देश्य से कोई लेनदेन नहीं किया गया.जयंतसिन्हा ने आज ट्वीटों की एक श्रृंखला में कहा कि लेनदेन वैध और प्रमाणिक हैं.बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का भी इसमें शामिल है.
इस मामले में आर्इसीआर्इजे की आेर से जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung में इस बात का खुलासा किया गया है कि दुनिया भर के अमीर हस्तियों ने दो फर्म बेरमुडा की एप्पल बार्इ आैर सिंगापुर की एशिया सिटी ट्रस्ट में अपने पैसों को कैसे लगाया है. आर्इसीआर्इजे की आेर से करीब 180 देशों के पेश दस्तावेज में भारत 19वें स्थान पर है.
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विजय माल्या यूएसएल इंडिया का पैसा एप्पल बार्इ में लगाया
इंडियन एक्सप्रेस की आेर से पेश किये गये दस्तावेज में 1.5 बिलियन डाॅलर से अधिक कोष यूनाइटेड स्प्रिट लिमिटेड इंडिया के विजय माल्या का नाम विदेशी कंपनियों में पैसा लगाने वाले भारतीयों में पहले पायदान है. इस दस्तावेज में यह बताया गया है कि यूएसएल इंडिया का डिआगो ग्रुप से माल्या के द्वारा खरीदे जाने के बाद पूंजी पुनर्गठन के समय इस कंपनी पर करीब 1.5 बिलियन डाॅलर का कर्ज दिखाया गया था. एप्पलबी के दस्तावेजों के अनुसार, करीब 1.5 बिलियन डाॅलर के कर्ज में डूबने का नतीजा यह रहा कि विजय माल्या ने कंपनी से करीब 1,225 करोड़ रुपये लिये थे, जबकि वास्तव में करीब 10,000 करोड़ रुपये के आसपास की राशि विदेशी कंपनियों में लगाये गये.
वीरप्पा मोइली ने बेटे के नाम पर माॅरिशस की कंपनी में किया निवेश
इंडियन एक्सप्रेस ने पैराडाइज पेपर्स् के हवाले से यह लिखा है कि पूर्व की यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके कांग्रेसी नेता वीरप्पा माेइली ने अपने बेट हर्ष मोइली के नाम पर माॅरिशस की कंपनी यूनिटस इंपैक्ट पीसीसी में निवेश किया. उनकी कंपनी मोक्ष युग एक्सेस प्राइवेट लिमिटेड ने एमवार्इए यूनिटस इंपैक्ट पार्टनर के नाम से फंड लिया है, जो यह कंपनी यूनिटस इंपैक्ट पीसीसी की मुखौटा कंपनी है.
बिहार के सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा का भी पैराडाइल पेपर्स में नाम
इंडियन एक्सप्रेस के दस्तावेज में बिहार के भाजपा सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा का भी नाम आ रहा है. अखबार की आेर से लिखी गयी खबर में इस बात का जिक्र किया गया है कि बिहार के भाजपा सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा का सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विस (इंडिया) लिमिटेड एसआर्इएस में सौ फीसदी शेयर हिस्सेदारी हैं. सिक्योरिटी फर्म एसआर्इएस एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी है. इसमें एसआर्इएस इंडिया अन्य दो अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की सहयोगी है. बिहार के सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा ने सिक्योरिटी फर्म एसआर्इएस ग्रुप की स्थापना की, जिसकी दो विदेशी कंपनियां हैं. इंडियन एक्सप्रेस के दस्तावेज में इस बात का जिक्र किया गया है कि एसआर्इएस एशिया-प्रशांत होल्डिंग लिमिटेड आैर एसआर्इएस इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड एसआर्इएस इंडिया की सहयोगी कंपनियां हैं. बिहार के भाजपा सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा ने वर्ष 2014 में चुनाव लड़ने के दौरान चुनाव आयोग में दाखिल किये गये हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया है.
झारखंड के भाजपा सांसद आैर केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का भी नाम शामिल
साल 2014 में झारखंड के हजारीबाग से लोकसभा सांसद बनने और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में केद्रीय राज्य मंत्री बनने से पहले जयंत सिन्हा ओमिडयार नेटवर्क में मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर काम करते थे. ओमिडयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी डॉट लाइट डिजाइन में निवेश कर रखा था. डी डॉट लाइट डिजाइन की एक शाखा केमैन आइलैंड में भी स्थित थी. विदेशी कानूनी सलाह देने वाली कंपनी एप्पलबी के दस्तावेज के अनुसार, जयंत सिन्हा ने डी डॉट लाइट डिजाइन के डायरेक्टर के तौर पर भी सेवाएं दी थीं, लेकिन अपने चुनावी हलफनामे में उन्होंने इसकी कोई जानकारी नहीं दी थी. जयंत सिन्हा ने न तो चुनाव आयोग को और न ही लोक सभा सचिवालय और न तो प्रधानमंत्री कार्यालय को इसकी जानकारी दी थी.
डी डॉट लाइट डिजाइन इंक की स्थापना साल 2006 मे अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुई थी और इसकी इसी नाम से एक शाखा केमैन आइलैंड में खुली थी. सिन्हा ओमिडयार नेटवर्क में सितंबर 2009 में जुड़े थे और दिसंबर 2013 में इस्तीफा दे दिया था. ओमिडयार नेटवर्क ने डी डॉट लाइट डिजाइन में निवेश किया था. डी डॉट लाइट ने अपनी केमैन आईलैंड स्थिति शाखा के माध्यम से नीदरलैंड के एक निवेशक से 30 लाख डॉलर (आज की दर से करीब 19 करोड़ रुपये) कर्ज हासिल किया था. एप्पलबी के दस्तावेज के अनुसार, इस कर्ज के लिए 31 दिसंबर 2012 को समझौता हुआ था. जब ये फैसले लिए गये, तो जयंत सिन्हा डी डॉट लाइट डिजाइन के डायरेक्टर थे.
कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, सचिन पायलट का भी नाम
इंडियर एक्सप्रेस को दिये जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री आैर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने कहा कि मैं एप्पल बी कंपनी में बिना किसी शेयर के गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक के रूप में जुड़ा था आैर जिकिटजा हेल्थ केयर किसी विदेशी आॅपरेशन से जुडी कंपनी नहीं है. कोर्इ विदेशी कंपनी की आेर से उसमें निवेश किया गया होगा.
इस मामले में कांग्रेस के नेता आैर पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एक कंपनी ने लाभकारी वेंचर से गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में तब्दील हुर्इ थी. उन्होंने वर्ष 2004 में लोकसभा सदस्य बनने से पहले उन्होंने इस कंपनी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा कि वह वर्ष 2001 में कंपनी के मानद निदेशक के रूप में काम किया था. सचिन ने कहा कि कंपनी ने जब उन्हें इस बात की सूचना दी कि उसने गैर-लाभकारी फर्म से खुद को लाभकारी फर्म में तब्दील कर लिया है, तब मैंने उससे इस्तीफा दे दिया था.
राजस्थान के कांग्रेसी नेता अशोक गहलाैत का भी जुड़ा है नाम
इंडियन एक्सप्रेस ने अपने समाचार में लिखा है कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलौत, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, कांग्रेसी नेता सचिन पायलट आैर पूर्व केंद्रीय मंत्री वायलार रवि के बेटे रवि कृष्ण जिकिट्जा हेल्थ केयर लिमिटेड से जुड़े हैं, जिस पर र्इडी आैर सीबीआर्इ की आेर से विभिन्न आर्थिक मामलों को लेकर जांच की जा रही है.
क्या है पैराडाइज पेपर्स मामला
जनसत्ता की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार, जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में करायी गयी काॅरपोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज मिले. जर्मन अखबार ने ये दस्तावेज इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) के साथ साझा किया. इंडिया एक्सप्रेस आईसीआईजे का सदस्य हैं और उसने भारत से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों की पड़ताल की है.