नयी दिल्ली : भारत और फ्रांस ने समग्र रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों को प्रगाढ़ करने के निश्चय के अलावा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत प्रशांत क्षेत्र में अपने सैन्य सहयोग का विस्तार करने का शुक्रवार को फैसला किया. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ले ने क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति, रक्षा साजोसामान के संयुक्त विकास तथा सैन्य संबंधों के विस्तार समेत विविध मुद्दों पर बातचीत की. प्रतिनिधमंडल स्तर की इस वार्ता में दोनों पक्षों ने आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की. दोनों देशों ने महसूस किया कि समुद्री क्षेत्र में, खासकर भारत प्रशात क्षेत्र में काफी कुछ किया जा सकता है जहां चीन अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है.
दिलचस्प है कि ट्रंप प्रशासन भी भारत प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा पर प्रगाढ़ भारत अमेरिका सहयोग के पक्ष में रहा है. पार्ले ने सीतारमण के साथ अपनी बातचीत को शानदार बताया. सूत्रों ने बताया कि फ्रांसीसी पक्ष ने भारत द्वारा अतिरिक्त राफेल लड़ाकू जेटों के ऑर्डर की संभावनाएं भी खंगाली. भारत ने पिछले साल 36 राफेल जेटों की आपूर्ति के लिए फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था तथा वायुसेना और 36 राफेल जेटों की खरीद पर बल दे रही है.
एक बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के अहम स्तंभ के रूप में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की वर्तमान पहलों की समीक्षा की. बतौर रक्षा मंत्री पार्ले की यह पहली भारत यात्रा है और उनकी यात्रा से फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैंक्रो की गली भारत यात्रा का आधार तैयार होने की संभावना है. अपनी बातचीत में दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरण एवं उद्योग सहयोग में विकासों की समग्र समीक्षा भी की. फ्रांस स्कोर्पियन पनडुब्बियों समेत विभिन्न अहम सैन्य साजो सामानों के विकास में भारत के लिए महत्वपूर्ण साझेदार है.
सीतारमण के साथ बातचीत के बाद पार्ले नागपुर गयीं. वहां उन्होंने धीरूभाई अंबानी एयरोस्पेशन पार्क में डसाउल्ट रिलायंस एयरोस्पेश लिमिटेड की आधारशिला रखने के बाद संवाददाताओं से कहा, भारत एशिया में फ्रांस का स्वभाविक साझेदार है. यही वजह है कि हमारे राष्ट्रपति दिसंबर में भारत आयेंगे. पार्ले ने कहा, (सीतारमण से) मेरी बातचीत के दौरान हमने भारत, फ्रांस और यूरोप के समक्ष मौजूद आतंकवाद के खतरे पर अपना विचार साझा किया और उससे निबटने के तौर तरीकों पर चर्चा की.