7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजनीतिक जानकारों ने की चुनाव सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग

जालंधर : आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव सर्वेक्षणों पर रोक लगाने की मांग करते हुए पंजाब के राजनीति के जानकारों ने कहा है कि ऐसे सर्वेक्षणों से देश के मतदाता भ्रम की स्थिति में आ जाते हैं. खासकर ऐसे मतदाता जिनके मत निर्णायक होते हैं. वह मजबूरन उसी दल या गंठबंधन […]

जालंधर : आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव सर्वेक्षणों पर रोक लगाने की मांग करते हुए पंजाब के राजनीति के जानकारों ने कहा है कि ऐसे सर्वेक्षणों से देश के मतदाता भ्रम की स्थिति में आ जाते हैं. खासकर ऐसे मतदाता जिनके मत निर्णायक होते हैं. वह मजबूरन उसी दल या गंठबंधन के पक्ष में अपना वोट दे आते हैं जिनके पक्ष में सर्वे की हवा होती है.

देशमेंचुनावों से पहले होने वाले चुनाव सर्वेक्षण को मतदान के दौरान जारी करने से रोक लगाने की मांग करने वाले राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि यह केवल तीन चार फीसदी लोगांे का विचार होता है जो देश के बाकी लोगांे पर थोप दिया जाता है. न केवल मतदाताओं को बल्कि देश को भी ऐसे सर्वेक्षणों से बचना चाहिए.

पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक आशुतोष कुमार ने इस बारे में कहा, लोगों के दिमाग में एक ही बात आती है, जो जीतने वाली पार्टी या गंठबंधन हैं उनके पक्ष में मताधिकार का इस्तेमाल करना है. ऐसे सर्वेक्षणों से एक खास प्रकार की हवा चल पडती है. किसी खास गठबंधन या दल के पक्ष में माहौल बन जाता है.

कुमार ने कहा, जिन मतदाताओं के मत निर्णायक होते हैं अर्थात जो मतदान के दिन यह निर्णय करते हैं कि उनका वोट किसके पक्ष में जायेगा. वह भी उसी दल या गठबंधन के पक्षमेंमतदान करने को मजबूर हो जाते हैं जिनके पक्षमेंसर्वेक्षण होते हैं. कुमार ने कहा, मैं ओपिनियन पोल्स (चुनाव सर्वेक्षण) को प्रतिबंधित करने के पक्ष में नहीं हूं. लेकिन इसके लिए एक समय सीमा निर्धारित होना चाहिए.

मेरा मानना है कि चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद इसे रोक दिया जाना चाहिए.मतदान प्रक्रिया के बीच में तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए. ऐसे में मतदाता भ्रम की स्थितिमेंआ जाते हैं और उनकी सोच हाइजैक हो जाती है, जिससे वह अपने तरीके से स्वतंत्र होकर मतदान नहीं कर पाते हैं. दूसरी ओर गुरुनानक देव विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशल साइंस के पूर्व अध्यक्ष डॉ एस एस जोहल ने कहा, ओपिनियन पोल से सबको बचना चाहिए.

यह तीन चार फीसदी लोगांे का मत होता है. जो लोग यह करते हैं वह दरअसल अपनी ओर से इन तीन चार फीसदी लोगों के मत को हम पर थोप देते हैं. यह पूछने पर कि क्या आप ओपिनियन पोल को प्रतिबंधित करने के पक्ष में हैं, जोहल ने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ओपिनियन पोल को प्रतिबंधित कर दीजिए. मेरा कहना है कि हमेंइससे बचना चाहिए क्योंकि ओपिनियन पोल समाज के खास वर्ग के कुछ फीसदी लोगों का विचार है.

हम सब पर इसे थोप दिया जाता है और हमारे दिमाग को हाइजैक कर लिया जाता है. उन्होंने यह भी कहा, वह ओपिनियन पोल को कैसे निर्धारित करते हैं. क्या इसकी कोई प्रणाली है और अगर ऐसा है भी तो क्या यह सबको स्वीकार्य है. अगर नहीं, तो फिर कैसे खास वर्ग के तीन चार फीसदी लोगों का विचार पूरे देश पर थोप दिया जाता है. इसका परिणाम होता है कि लोग खास दल के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें