नयी दिल्ली : सेना में भर्ती की नीति पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गयी है. जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि सेना में कथित रुप से धर्म, प्रांत और जाति के आधार पर भर्ती होती है.
पुनर्विचार याचिका में न्यायालय से सात फरवरी के फैसले पर फिर से गौर करने का अनुरोध किया गया है. इस फैसले के माध्यम से न्यायालय ने जनहित याचिका खारिज की थी. याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त चिकित्सक आई एस यादव ने दलील दी है कि शीर्ष अदालत ने सेना के जवाब में पेश महत्वपूर्ण बिन्दु पर ध्यान नहीं दिया जिसमें एक तरह से यह स्वीकार किया गया था कि सेना में जाति, प्रांत और धर्म के आधार पर भर्ती होती है.
याचिका में कहा गया है कि किसी विशेष प्रांत से लोगों को सेना की रेजीमेन्ट बनाना असंवैधानिक है और यह जाति, धर्म, और प्रांत के आधार पर पक्षपात करने जैसा है. सेना ने अपने जवाब में कहा था कि वह जाति, धर्म और प्रांत के आधार पर भर्ती नहीं करती है लेकिन उसने प्रशासनिक और संचालन की सुविधा के आधार पर एक रेजीमेन्ट में एक प्रांत से आने वाले लोगों का समूह बनाये जाने को न्यायोचित ठहराया था.
दिसंबर, 2012 में न्यायालय ने इस मामले में विचार करते हुये केंद्र और सेना से सिख रेजीमेन्ट, मराठा रेजीमेन्ट, जाट रेजीमेन्ट, राजपूताना रेजीमेन्ट और गोरखा रेजीमेन्ट जैसी सैन्य रेजीमेन्टें बनाने की परंपरा पर जवाब मांगा था. शीर्ष अदालत ने फरवरी में जनहित याचिका खारिज कर दी थी.